Thursday, November 20, 2025
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संत विनोबा पीजी कॉलेज में बढ़ता असंतोष: छात्र नेताओं ने मुकदमे को बताया एकतरफ़ा , निष्पक्ष जांच की मांग तेज़

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। जनपद के संत विनोबा पीजी कॉलेज के प्राचार्य द्वारा की गई शिकायत के आधार पर छात्र संघ अध्यक्ष आनंद श्रीवास्तव, छात्र नेता बालमुकुंद मिश्रा व निर्भय उर्फ सिंटू शाही पर दर्ज मुकदमे को लेकर विवाद और गहरा गया है। शुक्रवार को कई पूर्व छात्र संघ अध्यक्षों ने प्रेसवार्ता कर इस कार्रवाई को “तथ्यों से परे”, “एकतरफ़ा” और “पक्षपातपूर्ण” बताते हुए निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच की मांग की है।

पूर्व छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि प्राचार्य द्वारा भेजी गई शिकायत में कई बिंदु न तो स्पष्ट हैं और न ही उनके समर्थन में पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि बिना ठोस प्रमाण के छात्र पदाधिकारियों पर कार्रवाई ने कॉलेज परिसर में असंतोष और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है।

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पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा—
“आनंद श्रीवास्तव और सिंटू शाही को बिना ठोस साक्ष्यों के आरोपित किया गया है। यह कार्रवाई छात्रों पर दबाव बनाने की कोशिश लगती है। प्रशासन को स्वतंत्र जांच कर वास्तविकता सामने लानी चाहिए।”
दूसरे पूर्व नेता ने प्रशासनिक रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा—
“कॉलेज में शिक्षा का माहौल लगातार बिगड़ रहा है। छात्रों को निशाना बनाए जाने से स्थिति और जटिल होती जा रही है। हम चाहते हैं कि पूरे मामले में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।”

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शुल्कों की मनमानी पर गंभीर आरोप
प्रेसवार्ता के दौरान एक अन्य पूर्व अध्यक्ष ने प्राचार्य पर भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और छात्रों से वसूले जा रहे शुल्कों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कॉलेज द्वारा लिए जा रहे शुल्क और छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं में ज़मीन–आसमान का अंतर है।

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पुस्तकालय शुल्क:
छात्रों से पुस्तकालय शुल्क वसूला जाता है, लेकिन पुस्तकालय में मुख्य पाठ्यक्रम की किताबें पर्याप्त उपलब्ध नहीं हैं।
आईडी कार्ड शुल्क:
आईडी कार्ड के नाम पर शुल्क लिए जाने के बावजूद पिछले दो वर्षों से छात्रों को आईडी कार्ड जारी नहीं किए गए, जिससे कई छात्र MST फार्म भरने में भी असमर्थ हैं।

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यूनियन शुल्क:
कॉलेज में छात्र संघ चुनाव प्रक्रिया नहीं होती, फिर भी छात्रों से यूनियन शुल्क वसूला जाता है। पूर्व नेताओं ने इसे अनुचित बताते हुए शुल्क बंद करने की मांग की।
खेलकूद शुल्क:
खेलकूद के नाम पर शुल्क तो लिया जाता है, लेकिन छात्रों को कोई खेल सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती और न ही प्रतियोगिताएँ आयोजित होती हैं। इसलिए इस शुल्क को भी बंद किए जाने की मांग उठी।

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आंदोलन की चेतावनी
पूर्व अध्यक्षों ने स्पष्ट कहा कि यदि प्रशासन ने निष्पक्ष जांच नहीं कराई तो वे छात्रों के साथ मिलकर आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे। उन्होंने जिला प्रशासन और वरिष्ठ अधिकारियों से हस्तक्षेप की अपील की ताकि कॉलेज का शैक्षणिक वातावरण शांतिपूर्ण, सुरक्षित और पारदर्शी रह सके।

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