Tuesday, October 28, 2025
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विज्ञान से कला तक – 24 अक्टूबर को जन्मे भारत के उज्ज्वल नक्षत्र

24 अक्टूबर को जन्मे महान व्यक्तित्व – जिन्होंने अपने कर्म और योगदान से भारत के इतिहास को दिशा दी


भारत का इतिहास केवल तिथियों और घटनाओं से नहीं बना, बल्कि उन असाधारण व्यक्तित्वों से निर्मित हुआ जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी। 24 अक्टूबर का दिन अनेक ऐसे महान लोगों का जन्मदिवस है जिन्होंने राजनीति, विज्ञान, सिनेमा, साहित्य, समाजसेवा और कला के क्षेत्र में भारत का नाम विश्व पटल पर उज्ज्वल किया। आइए, जानें उन प्रेरणास्रोत व्यक्तित्वों के जीवन, संघर्ष, शिक्षा और योगदान की विस्तृत झलक—

  1. अनुराग ठाकुर (जन्म: 24 अक्टूबर 1974, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश)
    भारतीय राजनीति के युवा और ऊर्जावान चेहरों में से एक, अनुराग ठाकुर का जन्म हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में हुआ। वे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र हैं। दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा।
    भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक अनुराग ठाकुर ने युवाओं को राजनीति में जोड़ने का अभियान चलाया। सांसद के रूप में उन्होंने विकास कार्यों में विशेष रुचि दिखाई। खेल जगत से गहरा नाता रखते हुए उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष के रूप में कई सुधारात्मक कदम उठाए। सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में उन्होंने “आत्मनिर्भर भारत” की भावना को जनसंचार के माध्यम से सशक्त किया। अनुराग ठाकुर आज आधुनिक भारत के एक ऊर्जावान, प्रगतिशील और दूरदर्शी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं।
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  3. मल्लिका शेरावत (जन्म: 24 अक्टूबर 1972, हिसार, हरियाणा)
    मल्लिका शेरावत का जन्म हरियाणा के हिसार जिले में हुआ। असली नाम रीमा लांबा था, बाद में उन्होंने फिल्म जगत में आने के बाद मल्लिका शेरावत नाम अपनाया। दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
    2003 में फिल्म ख्वाहिश और मर्डर से मल्लिका ने बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बोलने का साहस दिखाया और महिलाओं की स्वतंत्रता की मुखर आवाज बनीं। हॉलीवुड फिल्मों में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। मल्लिका ने अपनी मेहनत, आत्मविश्वास और निडरता से यह साबित किया कि एक महिला किसी भी क्षेत्र में अपनी पहचान स्वयं गढ़ सकती है।
  4. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन (जन्म: 24 अक्टूबर 1940, एर्नाकुलम, केरल)
    भारत के प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का जन्म केरल के एर्नाकुलम में हुआ। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और बैंगलोर विश्वविद्यालय से खगोल विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
    उनके नेतृत्व में भारत के कई महत्वाकांक्षी उपग्रह परियोजनाएं सफल रहीं। चंद्रयान मिशन की नींव रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। भारतीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के प्रमुख वास्तुकार के रूप में उन्होंने देश की शिक्षा प्रणाली को नई दिशा दी। उन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। कस्तूरीरंगन भारत के वैज्ञानिक गौरव का प्रतीक हैं।
  5. संजीव चट्टोपाध्याय (जन्म: 24 अक्टूबर 1936, कोलकाता, पश्चिम बंगाल)
    बांग्ला साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार और लघुकथाकार संजीव चट्टोपाध्याय का जन्म कोलकाता में हुआ। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।
    उनकी रचनाएँ समाज के यथार्थ को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से उजागर करती हैं। श्रीकांत एर डायरी और गृह युद्ध जैसी रचनाएँ उनके सामाजिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करती हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और बंकिमचंद्र पुरस्कार जैसे सम्मान प्राप्त हुए। संजीव चट्टोपाध्याय की लेखनी आज भी मानवीय संवेदना की गहराइयों को छूती है।
  6. आर. के. लक्ष्मण (जन्म: 24 अक्टूबर 1921, मैसूर, कर्नाटक)
    भारत के सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट और व्यंग्यकार आर. के. लक्ष्मण का जन्म मैसूर में हुआ। वे प्रसिद्ध उपन्यासकार आर. के. नारायण के छोटे भाई थे। मैसूर विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने द टाइम्स ऑफ इंडिया में कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य प्रारंभ किया।
    उनके “कॉमन मैन” (The Common Man) नामक पात्र ने भारतीय समाज के आम आदमी की भावनाओं, संघर्षों और व्यंग्य को दशकों तक जीवंत रखा। उनकी रेखाओं में हास्य था, पर उनमें एक गहरी सामाजिक चेतना भी झलकती थी। उन्हें पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। आर. के. लक्ष्मण ने अपने चित्रों से भारत के जनमानस को स्वर दिया।
  7. जीवन (जन्म: 24 अक्टूबर 1915, श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर)
    हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता जीवन का जन्म श्रीनगर में हुआ। असली नाम ओमकरण नाथ धर था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1935 में की और लगभग छह दशकों तक हिंदी सिनेमा में सक्रिय रहे।
    वे खलनायक की भूमिका में उतने ही लोकप्रिय रहे जितने हास्य भूमिकाओं में। नया दौर, अमर अकबर एंथनी, और धर्मात्मा जैसी फिल्मों में उनकी यादगार भूमिकाएँ आज भी दर्शकों के मन में बसी हैं। जीवन ने अपनी अनोखी शैली से सिनेमा में विलेन के किरदार को नया आयाम दिया।
  8. लक्ष्मी सहगल (जन्म: 24 अक्टूबर 1914, मद्रास – अब चेन्नई, तमिलनाडु)
    स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेविका लक्ष्मी सहगल का जन्म मद्रास में हुआ। वे पेशे से डॉक्टर थीं और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आज़ाद हिंद फौज में “झाँसी की रानी रेजिमेंट” की कमांडर बनीं।
    उनकी शिक्षा मद्रास मेडिकल कॉलेज से हुई थी। देश की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने कानपुर में गरीबों के लिए चिकित्सा सेवा समर्पित कर दी। लक्ष्मी सहगल सच्चे अर्थों में देशभक्ति, समर्पण और नारी शक्ति की प्रतीक थीं। 2002 में वे भारत की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार भी रहीं।
  9. अशोक मेहता (जन्म: 24 अक्टूबर 1911, गुजरात)
    भारत के समाजवादी विचारक और राजनीतिज्ञ अशोक मेहता का जन्म गुजरात में हुआ। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।
    स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने जेल यातनाएँ सही और स्वतंत्रता के बाद समाजवादी आंदोलन को नई दिशा दी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में उन्होंने ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय की नीतियाँ तैयार कीं।
    उनका योगदान भारत के लोकतंत्र को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने में अतुलनीय रहा। अशोक मेहता का नाम भारत के राजनीतिक चिंतन में सदैव सम्मानपूर्वक लिया जाएगा।
  10. प्रेमनाथ डोगरा (जन्म: 24 अक्टूबर 1884, जम्मू, जम्मू-कश्मीर)
    प्रेमनाथ डोगरा का जन्म जम्मू में हुआ। वे जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध नेता और जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। उन्होंने ‘एक देश, एक विधान, एक निशान’ के नारे को जनमानस तक पहुँचाया।
    डोगरा ने राज्य के एकीकरण और राष्ट्रवाद की भावना को प्रबल किया। उन्हें “शेर-ए-दुग्गर” के नाम से जाना जाता है। उनका जीवन भारतीय एकता और अखंडता के लिए समर्पित था।
  11. बहादुर शाह ज़फ़र (जन्म: 24 अक्टूबर 1775, दिल्ली)
    बहादुर शाह ज़फ़र, मुग़ल साम्राज्य के अंतिम बादशाह, का जन्म दिल्ली में हुआ। वे केवल शासक ही नहीं, एक उत्कृष्ट कवि भी थे। 1857 की क्रांति के समय उन्होंने विद्रोहियों का नैतिक नेतृत्व किया।
    हालाँकि ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें म्यानमार (रंगून) निर्वासित कर दिया, पर उनकी कविताएँ आज भी स्वतंत्रता की भावना जगाती हैं —
    “लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में…”
    बहादुर शाह ज़फ़र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले प्रतीक बन गए।
    समापन विचार:
    24 अक्टूबर केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास के विविध क्षेत्रों में प्रकाश फैलाने वाले सितारों का समूह है। इन महान आत्माओं ने अपने कर्म, विचार, और योगदान से भारत को गौरवान्वित किया। राजनीति, कला, विज्ञान, साहित्य, समाजसेवा — हर क्षेत्र में उन्होंने आदर्श स्थापित किए।
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