
नई दिल्ली/बीजिंग (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच एक अहम कूटनीतिक पहल के तहत भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई, जहां एससीओ सदस्य देशों के शीर्ष प्रतिनिधि एक मंच पर जुटे थे।
बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के हालिया घटनाक्रमों की जानकारी दी और विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी गतिरोध का जिक्र किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति और स्थिरता ही दोनों देशों के आपसी रिश्तों की प्रगति की प्राथमिक शर्त है।
गौरतलब है कि जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तीव्र गिरावट आई थी। इस झड़प में दोनों ओर से सैनिकों की मौतें हुई थीं, और इसके बाद से कई दौर की सैन्य व कूटनीतिक वार्ताएं चल रही हैं, लेकिन अब तक पूर्ण समाधान नहीं निकल सका है। ऐसे में विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा और शी जिनपिंग से सीधी मुलाकात को रिश्तों में संभावित नरमी और संवाद की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
इस उच्चस्तरीय वार्ता के दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापारिक साझेदारी, और एससीओ के अंतर्गत सहयोग को भी लेकर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, जयशंकर ने चीन से आग्रह किया कि सीमा से जुड़े मुद्दों को जल्द सुलझाने के लिए विश्वास बहाली के उपायों को गंभीरता से आगे बढ़ाया जाए।
डॉ. जयशंकर की यह चीन यात्रा उनके विदेश मंत्री कार्यकाल में पहली चीन यात्रा है, और यह ऐसे समय में हो रही है जब भारत वैश्विक मंचों पर अपनी रणनीतिक भूमिका को लगातार विस्तार दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की दिशा में एक अहम कदम हो सकती है, लेकिन वास्तविक परिणाम आने वाले महीनों में स्पष्ट होंगे।
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