Friday, November 14, 2025
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जीवन में ध्यान व समर्पण

मेरी रचना, मेरी कविता

शांति व संतुष्टि खोजिये क्योंकि हमारी,
आवश्यकता कभी समाप्त नहीं होती है,
जीवन एक लेखनी है जो मसि समाप्ति
से पहले अपनी कहानी लिख जाती है।

सभी परिस्थितियों में संन्तुलन बनाये
रखना जीवन में प्रसन्नता की चाबी है,
उन ठोकरों की कद्र करें जो हमको बुरे
वक्त में जीने का अदांज सिखाती हैं।

ठोकरें इसलिए नही लगती हैं कि
इंसान ठोकर खा कर गिर ही जाए,
ठोकरें लगती हैं कि इंसान गिरकर
एक बार फिर से उठे व संभल जाये।

जिंदगी में कभी हम यह मत सोचें कि
कौन कब, कैसे, कहाँ, क्यों बदल गया,
जीवन का अनुभव है कि इतना ज़रूर
देखें, वह क्या सिखलाकर चला गया।

जीवन नौका तभी पार लग पाती है,
जब ध्यान के साथ समर्पण अपना
एक साथ ही एक दिशा चुन लेते हैं,
एकाग्रचित्त हो स्मरण मनन करते हैं।

जीवन में सद्वयवहार, सत्चरित्र व
सुविचार जिसके भी सुंदर होते हैं,
उसकी शारीरिक सौष्ठव सुंदरता व
अंतर्मन दोनो ही अति सुंदर होते हैं।

आदित्य जीवन में धैर्य आवश्यक है,
पर इतना भी शान्त हमें नहीं रहना है,
वह धैर्य हमारे मूल्यवान समय को ही
नष्ट करे, इतना निष्क्रिय नहीं रहना है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ

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