
जयपुर।(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) राजधानी जयपुर में शुक्रवार देर रात हुए दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर जर्जर मकानों की असलियत और प्रशासनिक उपेक्षा को सामने ला दिया है। सुभाष चौक सर्किल के पास स्थित एक पुराना मकान अचानक भरभराकर गिर पड़ा, जिसमें पिता-पुत्री की मौत हो गई जबकि पाँच लोग घायल हो गए।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने बताया कि हादसे के समय मकान में करीब 19 लोग किराए पर रहते थे। प्रथम दृष्टया कारण मकान का जर्जर होना और लगातार हो रही बारिश को माना जा रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासन और राहत दल मौके पर पहुँचे और मलबा हटाने का काम शुरू किया।
हादसे में प्रभात (33) और उनकी छह वर्षीय बेटी पीहू की मौत हो गई। प्रभात की पत्नी सुनीता गंभीर रूप से घायल हैं। अन्य चार घायलों को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनका इलाज जारी है। बचाव अभियान अब भी जारी है और टीम लगातार मकान की शेष संरचना की स्थिरता का आकलन कर रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जयपुर समेत कई पुराने शहरों में ऐसे जर्जर भवन खतरनाक स्थिति में खड़े हैं। भारी बरसात से इनका ढांचा और कमजोर हो जाता है। यह हादसा प्रशासन और समाज दोनों के लिए चेतावनी है कि समय रहते पुराने मकानों की जाँच और रखरखाव न किया गया तो और बड़ी त्रासदियाँ सामने आ सकती हैं।
इस बीच, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 6 और 7 सितंबर को गुजरात क्षेत्र, सौराष्ट्र और कच्छ में छिटपुट स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। पूर्वी राजस्थान में भी बारिश का असर जारी रहने की संभावना जताई गई है।
यह हादसा सिर्फ एक परिवार का नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए सबक है। पुरानी और कमजोर इमारतों में रहना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे मकानों की नियमित जाँच और मरम्मत की संस्कृति अपनाना ही जीवन की सुरक्षा का असली रास्ता है।