July 20, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

दुश्मन भी प्रिय मित्र बन जाता है

अक्सर रिश्तों की डोर में
हम सभी उलझते रहते हैं,
भावनाओं के मकड़जाल में,
कभी न कभी हम सब बहते हैं।

धैर्य के साथ सुलझाया जिसने,
उसकी उलझने दूर हो जाती हैं,
भावनायें नियंत्रित किया जिसने,
वही सहज सरल जीवन जीते हैं।

अपराध के लिये दंड का नियम-
क़ानून स्वाभाविक रूप से होता है,
परन्तु इस युग में अपराधी दंड से
बच कर क़ानून को धोखा देते हैं।

परिवार समाज राष्ट्र और विश्व,
एक नियम क़ानून से बंधे हुये हैं,
नैसर्गिक नियम ईश्वरीय होते हैं,
उनसे कहाँ कोई कभी बच सकते हैं।

अपनो पर नज़र रखना आसान नहीं,
यह सही है कि दुश्मनों पर नज़र
रखने की कोई ज़रूरत नहीं है,
उनसे ख़तरे की फ़िक्र भी नहीं है।

जब सभी अपने हों तो संसार में
आदित्य शत्रु कहाँ कोई रह जाता है,
दिल में प्रेम हो, आँखों में क्षमा हो,
दुश्मन भी प्रिय मित्र बन जाता है।

  • डा० कर्नल आदि शंकर मिश्र
    ‘आदित्य’