
(राज्य प्रतिनिधि अभिषेक की रिपोर्ट)
लखनऊ(राष्ट्र की परम्परा) चुनाव आयोग ने देशभर में निष्क्रिय राजनीतिक दलों की संख्या में हो रही वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए एक अहम कार्रवाई की है। आयोग ने कुल 119 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है, जिन पर पिछले 6 वर्षों से कोई भी चुनाव न लड़ने का आरोप है।
इस नोटिस के जवाब में सिर्फ 25 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि आयोग के समक्ष पेश हुए, जबकि शेष 94 दलों ने न तो कोई दस्तावेज प्रस्तुत किया और न ही कोई जवाब दाखिल किया। इससे इन दलों की कार्यप्रणाली और अस्तित्व पर सवाल खड़े हो गए हैं।
चुनाव आयोग की इस जांच का उद्देश्य उन फर्जी या निष्क्रिय दलों को चिह्नित करना है, जो केवल नाम के लिए पंजीकृत हैं लेकिन सक्रिय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे। आयोग का मानना है कि ऐसे दल न सिर्फ लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं, बल्कि चुनावी पारदर्शिता और आर्थिक जवाबदेही पर भी असर डालते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जो दल संतोषजनक जवाब नहीं देंगे या कोई गतिविधि सिद्ध नहीं कर पाएंगे, उन्हें पंजीकरण रद्द किए जाने की प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि आयोग समय-समय पर ऐसे दलों की समीक्षा प्रक्रिया करता है ताकि केवल सक्रिय और जवाबदेह राजनीतिक दल ही लोकतंत्र में भागीदारी करें।
क्या है नियम:
भारत निर्वाचन आयोग के नियमानुसार, हर राजनीतिक दल को अपनी वार्षिक रिपोर्ट, लेखा विवरण और चुनावी गतिविधियों का ब्यौरा समय-समय पर आयोग को सौंपना होता है। ऐसा न करने पर आयोग उन्हें निष्क्रिय मानते हुए कार्रवाई कर सकता है।
फिलहाल जांच प्रक्रिया जारी है, और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई दलों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
यह कदम भारतीय लोकतंत्र को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाए रखने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है।
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