December 3, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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परिवार को संकट से उबारने के लिए द्रौपदी ने शुरू की छठ पर्व की पूजा – आचार्य अजय शुक्ल

5 नवम्बर से शुरू होकर 8 नवम्बर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होगा छठ पर्व का समापन

सलेमपुर,देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। इस वर्ष पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि 7 नवम्बर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवम्बर को देर रात 13 – 34 मिनट पर समापन होगा,ऐसे में 7 नवम्बर को सूर्यदेव को सन्ध्या कालीन अर्घ्य दिया जायेगा।विशेष रूप से बिहार,झारखंड ,उत्तर प्रदेश, अब तो लगभग पूरे देश का प्रमुख पर्व छठ पूजा इस बार 5 नवम्बर नहाय खाय के साथ शुरू होकर 8 नवम्बर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न होगा।उक्त बातें बताते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने कहा कि इस पर्व को मां सीता व श्री राम जी जब रावण के वध करने के बाद अयोध्या नगरी आए तो अपने कुल देवता सूर्य देव की पूजा अर्चना उपवास रखने के बाद किया।उसके पश्चात लोग इस व्रत को मनाने लगे।एक अन्य कथा के अनुसार व्रत की शुरुआत महाभारत काल से हुआ है।सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करते हुए की थी।वह भगवान सूर्य के कृपा से ही महान योद्धा बने थे। वहीं जब पांडव जुआ खेलते हुए अपना राजपाट हार गए तो उनकी पत्नी द्रौपदी ने इस संकट से उबरने के लिए ऋषि धौम्य की सलाह पर सूर्य देव की उपासना की थी।लोक परम्परा के अनुसार सूर्य देव व छठी मइया का सम्बंध भाई बहन का है।इसलिए छठ पर्व पर सूर्य की पूजा अर्चना शुभ फल प्राप्त करने वाला होता है। इस साल पर्व की शुरुआत 5 नवम्बर को नहाय खाय 6 को खरना व तीसरे दिन 7 नवम्बर को शाम को सन्ध्या अर्घ्य और 8 नवम्बर को सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा। यह पर्व परिवार के सुख समृद्धि व संतान सुख का व्रत है।इस व्रत में साफ सफाई व पवित्रता बहुत ही आवश्यक है।यह पर्व हमें प्रकृति को संरक्षित करने का संदेश देता है, इस पर्व में इस समय उगने व पैदा होने वाले फल ,सब्जी का प्रयोग पूजन में किया जाता है।