November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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516 वादों में 01 मामले का निस्तारण

मऊ (राष्ट्र की परम्परा) राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशन तथा जनपद न्यायाधीश, मऊ रामेश्वर के मार्गदर्शन में आज जिला कारागार मऊ का वर्चुअल निरीक्षण विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कुॅवर मित्रेश सिंह कुशवाहा द्वारा किया गया।
निरीक्षण के समय पूछ ताछ के दौरान प्रभारी अधीक्षक द्वारा बताया गया कि कारागार में कुल बन्दियों की संख्या  638 हैै, जिसमें पुरुष  572, महिला-32 तथा  किशोर 33 बन्दी है। महिला बन्दियों के साथ 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या (लड़का/लड़की) 04 है। पूछ ताछ में प्रभारी अधीक्षक द्वारा बताया गया कि आज कैदियों को मीनू के अनुसार भोजन दिया गया है तथा शाम को भी मीनू के अनुसार दिया जायेगा।  
सचिव द्वारा जेल अपील के सम्बंध में भी प्रभारी जेल अधीक्षक से जानकारी प्राप्त की। उनके द्वारा बताया गया कि किसी भी बन्दी की जेल अपील लम्बित नहीं है। समय पूर्व रिहाई के बावत जेल विजिटर को निर्देशित किया गया कि वे समय समय पर जेल विजिट कर ऐसे सिद्ध दोष कैदियो से वार्ता कर उनको आवश्यक विधिक सहायता प्रदान करें, जिससे कि उनको समय पूर्व रिहाई का लाभ दिया जा सके । इसके सम्बंध में जेल में नियुक्त पराविधिक स्वयं सेवकों को भी निर्देशित किया गया कि वह ऐसे सिद्ध दोष बन्दियों के समय पूर्व रिहाई के बावत् आवश्यक प्रार्थना पत्र प्राप्त कर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
सचिव द्वारा प्री-रिलीज कैदियों के सम्बंध में जेल अधीक्षक से जानकारी प्राप्त की तथा शासन स्तर पर उचित कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देश दिया गया।
मुख्य मंत्री बाल सेवा योजना के बारे में विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव द्वारा कैदियों को जानकारी प्रदान की गयी तथा पी0एल0वी0 को बाल सेवा योजना के प्रचार प्रसार के सम्बंध में निर्देश दिया गया। साथ ही साथ जेल अधीक्षक को निर्देश दिया गया कि पी0एल0वी0 की ड्यूटी क्रमवार लगायी जाय, जिससे उनकी सेवाओं का लाभ कैदियों को मिल सके।  वर्चुअल निरीक्षण के समय नागेश सिंह, जेलर, श्अमर कुमार सिंह, उप जेलर उपस्थित थे।

वही जिला चिकित्सालय स्थित विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कुॅवर मित्रेश सिंह कुशवाहा, सचिव की अध्यक्षता में (कन्या भू्रण हत्या) के  सम्बंध में विधिक साक्षरता शिविर/जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव द्वारा यह कहा गया कि जो लिंग अनुपात है, यह भारत में घट रहा था, जिसके कारण 20 सितम्बर 1994 को पी0सी0पी0एन0डी0टी0 एक्ट लाया गया, जिसके अन्तर्गत लिंग निर्धारण के गर्भाधान पूर्व तथा प्रसव पूर्व भ्रूण का लिंग निर्धारण निषेध कर दिया गया। यदि कोई चिकित्सक अथवा अल्ट्रासाउण्ड सेण्टर या अन्य कोई लिंग निर्धारण से सम्बंधित व्यक्ति,प्रयोगशाला अथवा निदान केन्द्र भू्रण का लिंग निर्धारण करता हुआ पाया जाता है तो उसके विरुद्धपी0सी0पी0एन0डी0टी0 एक्ट 1994 के अन्तर्गत सजा का प्राविधान है। सचिव द्वारा सभी उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी मातृशक्ति बन्दनीय है। लड़की  और लड़का में कोई भेद नहीं है। पूरे विश्व में लड़किया अपनी योग्यता और क्षमता के बल पर परचम लहरा रही है। कोई भी कार्य हवाई जहाज उड़ाने से लेकर पहाड़ पर चढ़ने, सेेना में जाने अथवा समुद्र में गोता लगाने तक कार्य भी कार्य मातृशक्ति के लिए असंभव नहीं है। खेल कूद से लेकर ओलम्पिक के अनेकों उपक्रमों में महिलाओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अतः यह सोचना कि लड़की समाज के लिए कोई समस्या है, बिल्कुल गलत है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 नरेश अग्रवाल ने कहा कि सभी निदान केन्द्र कानून का आदर करते हुए कभी भी लिंग के निर्धारण सम्बंधी कार्य न करें। उपस्थित डा0 वी0के0 यादव, डा0 वकील अली, डा0 आर0बी0 सिंह, विवेक सिंह, श्री नागेन्द्र पाण्डेय, मु0सरफराज मुख्य फार्मासिस्ट,तथा जनपद से आये हुए अनेकों चिकित्सक अस्पतालों के प्रबंधक तथा निदान केन्द्रों के प्रतिनिधि तथा अनेकों अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने जागरुकता शिविर किया तथा अपने विचार व्यक्त किये। अन्त में डा0 जी0सी0 पाठक ने सभी लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में बूस्टर डोज लगाने की व्यवस्था पूरे दिन की गयी है।  

विशेष लोक अदालत

विशेष लोक अदालत कुल 516 वादों में 01 मामले का निस्तारण किया गया। इस प्रकार 04 दिवसीय विशेष लोक अदालत में  एन0आई0 एक्ट की धारा 138 के अन्तर्गत कुल 22 मामलों का निस्तारण किया गया।