मौत का सिलसिला शुरू,जिम्मेदार नहीं गम्भीर
जौनपुर (राष्ट्र की परम्परा) जनपद में लगातार डेंगू के मरीज बढ़ने से जहां आम जनमानस के बीच डेंगू से हो रही मौतो के चलते हाहाकार मचा है वहीं पर स्वास्थ्य विभाग से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी गण उपचार और बचाव के ठोस कदम उठाने के बजाय केवल सरकारी बयान बाजी करते हुए कागजी बाजीगरी का खेल करते हुए अपनी पीठ स्वयं थपथपाने में लगे हुए है। डेंगू लगभग रोज तीब्र गति से अपना पांव पसार रहा है जिससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार लोग कितने सक्रिय एवं बचाव के प्रति गम्भीर है। जिला प्रशासन के एक अधिकारी का मानना है कि यूपी के अन्दर जौनपुर डेंगू के मरीजो के मामले में तीसरे चौथे स्थान पर है। अधिकारी का बयान साफ संकेत करता है कि डेंगू जिले में कितनी भयावह स्थिति में पहुंच गया है।
यहां बता दे कि जनपद का स्वास्थ्य विभाग कोई आंकड़ा तो नहीं बता रहा है। लेकिन अभी तक लगभग आधा दर्जन के आसपास लोंगो को डेंगू अपनी चपेट में लेते हुए काल के गाल में भेज दिया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग अथवा प्रशासन के सरकारी अभिलेख में मरने वाले डेंगू पीड़ित मरीजो का कोई जिक्र इसलिए नहीं ताकि उच्च स्तरीय जबाव देही से बचा जा सके। कितने मरीज पाए गये इसका भी कोई अभिलेख स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के पास नहीं है जैसा कि स्वास्थ्य विभाग के सूत्र पुष्टि कर रहे है। जबकि जिला अस्पताल से लगायत प्राइवेट अस्पतालो में डेंगू मरीज भरे पड़े है उनकी गणना तक कराना सरकारी तंत्र जरूरी नहीं समझ रहा है।
सरकारी अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओ के कारण डेंगू के मरीज बड़ी तादाद में प्राइवेट अस्पतालो में अपना उपचार कराने को मजबूर है जहां पर फीस और दवा के नाम पर शोषण का खेल धड़ल्ले से हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन एक दम कान में तेल डाले मरीजो को राहत पहुंचाने अथवा उनके उपचार में मदत करने के बजाय केवल सिर्फ केवल सरकारी विज्ञप्तियों के जरिए बयान बाजी करके अपने दायित्वों से खुद को मुक्त मान ले रहा है। इसके अलांवा एक बात और यह भी है कि मिटिंग का भी खेल जिले के हुक्मरान करते हुए अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री करने में जुटे हुए है।
सूत्र की माने तो जनपद मुख्यालय पर वर्तमान समय में लगभग 200 के आसपास डेंगू से पीड़ित मरीज प्राइवेट और सरकारी अस्पतालो में जीवन बचाने के लिए संघर्ष रत है। तहसील और ग्रामीण स्तर के आंकड़े नहीं मिल सके है। खबर यह भी आयी है कि डेंगू पीड़ित मरीजो को जो दवांये चलायी जा रही है उससे मरीज का प्लेटलेट्स तेजी से नीचे आ रहा है।कन्ट्रोल नही होने पर मरीज की मौत तक हो जा रही है।
खबर एक और छनकर आयी है कि तमाम प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सक अपने लैब में डेंगू के मरीजो की जांच कराते है। स्वास्थ्य विभाग के शख्त निर्देश के चलते डेंगू पाजिटिव मरीजो की रिपोर्ट तक उसे नहीं दे रहे है। ऐसा इसलिए है कि मरीजो का सही आंकड़े की जानकारी दबायी जा सके।
सरकार से लगातार निर्देश जारी होते है कि डेंगू से बचाव के लिए प्रशासन उपाय करे साफ सफाई के साथ दवाओं का छिड़काव नालियों और सड़को पर कराया जाये। लेकिन यहां पर नगर पालिका परिषद के अधिकारी (ईओ) के स्तर से सड़क मार्ग एवं गलियों में बनी नालियों पर लार्वा आदि मच्छर मार की दवाओ का छिड़काव नहीं किया जा रहा है। हां कागजी बाजीगरी का खेल करते हुए सरकारी खजाने को खाली करने का खेल जरूर चल रहा है। इस तरह पर्याप्त दवा नहीं है तो छिड़काव का भी नहीं किया जाना जिले के हुक्मरानो को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है।
इस मुद्दे को लेकर आज बुधवार को जनपद के मुख्य राजस्व अधिकारी एवं नगर पालिका के नोडल अधिकारी रजनीश राय नगर पालिका परिषद में कुछ पत्रकारों को बुलवाया और बयान दिया कि जिला महिला अस्पताल में एक 100 वेड की एमसीएच बनी थी कोविड के समय उसमें कोविड के मरीजो का उपचार कराया जा रहा था।लेकिन अब उसी में डेंगू पीड़ित मरीजो का इलाज कराया जा रहा है। मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) ने अपने बयान में यह भी कहा कि जिले में डेंगू के मरीजों सही आंकड़ा तो नहीं लेकिन इतना जरूर है प्रदेश के अन्दर डेंगू मरीजों के मामले में जौनपुर तीसरे चौथे स्थान पर है। इससे अनुमान लागया जा सकता है कि इस खतरनाक बीमारी की चपेट में जनपद कितना घिरा हुआ है और सरकारी तंत्र के लोग कितने गम्भीर है।
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