Tuesday, December 23, 2025
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23 दिसंबर: वो जन्मदिन जिन्होंने भारत के इतिहास को दिशा दी – स्मृतियों में जीवित महान व्यक्तित्व


चौधरी चरण सिंह (1902) – किसानों की आवाज़ बने भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के नूरपुर गाँव में हुआ। वे भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री रहे और आज भी उन्हें किसानों का सच्चा प्रतिनिधि माना जाता है। एक साधारण कृषक परिवार से आने वाले चरण सिंह ने ज़मींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार और ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए। उनका मानना था कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है और जब तक किसान मज़बूत नहीं होगा, देश प्रगति नहीं कर सकता। उनकी नीतियाँ आज भी कृषि विमर्श का आधार हैं।
रामवृक्ष बेनीपुरी (1899) – साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम का सशक्त स्वर
23 दिसंबर 1899 को बिहार के मुज़फ़्फरपुर ज़िले में जन्मे रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी साहित्य के बहुआयामी स्तंभ थे। वे उपन्यासकार, नाटककार, निबंधकार, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सक्रिय रहे। उनकी रचनाओं में सामाजिक चेतना, राष्ट्रप्रेम और मानवीय संवेदना स्पष्ट झलकती है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने लेखनी को हथियार बनाया और जनमानस को जागृत किया। उनका साहित्य आज भी युवाओं को सोचने और सवाल करने की प्रेरणा देता है।

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मेहरचंद महाजन (1889) – न्यायपालिका के दृढ़ प्रहरी
मेहरचंद महाजन का जन्म 23 दिसंबर 1889 को पंजाब क्षेत्र में हुआ था। वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के तीसरे मुख्य न्यायाधीश बने। भारतीय न्याय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में उनका योगदान ऐतिहासिक है। कश्मीर विवाद जैसे संवेदनशील मामलों में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही। उन्होंने न्याय को केवल कानून नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी के रूप में देखा। उनका जीवन न्याय, संतुलन और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अटूट निष्ठा का उदाहरण है।
सत्येन्द्र चंद्र मित्रा (1888) – स्वतंत्रता संग्राम के प्रतिबद्ध राजनीतिज्ञ
23 दिसंबर 1888 को जन्मे सत्येन्द्र चंद्र मित्रा एक कुशल राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष में सक्रिय रहे और देश की राजनीतिक चेतना को दिशा दी। सामाजिक न्याय और स्वशासन उनके विचारों का केंद्र था। उन्होंने संसद और सार्वजनिक जीवन में भारतीय हितों को मजबूती से रखा।
स्वामी सारदानन्द (1865) – आध्यात्मिकता और सेवा का संगम
स्वामी सारदानन्द का जन्म 23 दिसंबर 1865 को हुआ। वे रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की नींव को मज़बूत किया और शिक्षा व सेवा को आध्यात्मिक साधना से जोड़ा। उनका जीवन त्याग, अनुशासन और मानव सेवा का प्रेरक उदाहरण है।

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रास बिहारी घोष (1845) – कानून, राजनीति और समाज सेवा का संगम
23 दिसंबर 1845 को जन्मे रास बिहारी घोष एक प्रख्यात अधिवक्ता, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मंच से राष्ट्रीय मुद्दों को मुखरता दी। कानून के क्षेत्र में उनकी विद्वता और सामाजिक सुधारों में सक्रिय भूमिका उन्हें विशिष्ट बनाती है।
अवतार सिंह रिखी (1923) – संसदीय परंपराओं के संरक्षक
अवतार सिंह रिखी का जन्म 23 दिसंबर 1923 को हुआ। वे लोकसभा के भूतपूर्व महासचिव रहे और भारतीय संसदीय प्रणाली को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाई। संसदीय प्रक्रियाओं की मर्यादा और निष्पक्षता बनाए रखने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
अरुण बाली (1942) – अभिनय में अनुभव की गहराई
23 दिसंबर 1942 को जन्मे अरुण बाली भारतीय टेलीविजन और सिनेमा के सम्मानित अभिनेता थे। उन्होंने चरित्र भूमिकाओं के माध्यम से दर्शकों के दिलों में विशेष स्थान बनाया। उनकी अभिनय शैली सादगी और गंभीरता का सुंदर संतुलन थी।
शिव कुमार सुब्रमण्यम (1959) – संवेदनशील अभिनय और सशक्त लेखनी
शिव कुमार सुब्रमण्यम का जन्म 23 दिसंबर 1959 को हुआ। वे एक दिग्गज अभिनेता होने के साथ-साथ पुरस्कार विजेता लेखक भी थे। उनकी फिल्मों और लेखन में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक यथार्थ और गहराई दिखाई देती है।

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