20 दिसंबर: जब देश ने खोए अपने अमिट हस्ताक्षर, इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए ये महान निधन
20 दिसंबर का दिन भारतीय इतिहास में केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उन महान व्यक्तित्वों की स्मृति का प्रतीक है, जिनके जाने से राजनीति, सिनेमा, समाज सेवा और स्वतंत्रता संग्राम में अपूरणीय रिक्तता आई। आइए, 20 दिसंबर को हुए इन महत्वपूर्ण निधनों पर विस्तार से नज़र डालते हैं।
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ओम प्रकाश चौटाला (निधन: 20 दिसंबर 2024)
ओम प्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के सिरसा जिले में हुआ था। वे भारत के उपप्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल के पुत्र थे। चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर कई बार आसीन रहे और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने क्षेत्रीय राजनीति को राष्ट्रीय पहचान दिलाई। ग्रामीण विकास, किसान हित और हरियाणा की क्षेत्रीय अस्मिता को मजबूती देना उनके राजनीतिक जीवन का केंद्र रहा। 20 दिसंबर 2024 को हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ। उनका जीवन भारतीय राजनीति में संघर्ष, विवाद और जनाधार की त्रिवेणी के रूप में याद किया जाता है।
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नलिनी जयवंत (निधन: 20 दिसंबर 2010)
नलिनी जयवंत का जन्म 18 फरवरी 1926 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। वे भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग की चर्चित और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं। 1940 और 1950 के दशक में उन्होंने सामाजिक और गंभीर भूमिकाओं से दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। ‘काला पानी’, ‘हुमसफ़र’ और ‘मुनीमजी’ जैसी फिल्मों में उनका अभिनय आज भी सराहा जाता है। ग्लैमर से दूर सादगी भरा जीवन जीने वाली नलिनी जयवंत ने अभिनय को गरिमा दी। 20 दिसंबर 2010 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी कलात्मक विरासत भारतीय सिनेमा में जीवित है।
अमलप्रवा दास (निधन: 20 दिसंबर 1994)
अमलप्रवा दास का जन्म असम राज्य में हुआ था। वे एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और सामाजिक समानता के लिए आजीवन संघर्ष किया। ग्रामीण और वंचित समुदायों के उत्थान के लिए उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया और सामाजिक चेतना जगाने में अहम भूमिका निभाई। उनका जीवन सादगी, सेवा और संघर्ष का प्रतीक रहा। 20 दिसंबर 1994 को उनके निधन से समाज सेवा के क्षेत्र में एक संवेदनशील आवाज़ हमेशा के लिए शांत हो गई, लेकिन उनका योगदान आज भी प्रेरणा देता है।
सोहन सिंह भकना (निधन: 20 दिसंबर 1968)
सोहन सिंह भकना का जन्म 1870 में अमृतसर जिले, पंजाब (भारत) में हुआ था। वे ग़दर आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से एक और भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत क्रांतिकारी थे। विदेशों में रहकर भी उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए आंदोलन को दिशा दी। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध उनका संघर्ष अदम्य साहस और बलिदान का प्रतीक था। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान ऐतिहासिक महत्व रखता है। 20 दिसंबर 1968 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका नाम भारतीय क्रांतिकारी इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
