इतिहास की कुछ तिथियाँ केवल कैलेंडर की तारीख नहीं होतीं, वे राष्ट्र की चेतना को दिशा देने वाले व्यक्तित्वों का स्मरण दिवस बन जाती हैं। 18 दिसंबर भी ऐसी ही एक तिथि है, जिसने भारत को संत परंपरा, लोककला, न्यायपालिका और राजनीति के ऐसे महान स्तंभ दिए, जिनका प्रभाव आज भी समाज, संस्कृति और लोकतंत्र में स्पष्ट दिखाई देता है। आइए, 18 दिसंबर को जन्मे इन विशिष्ट व्यक्तित्वों के जीवन, योगदान और राष्ट्रहित में उनकी भूमिका पर विस्तार से दृष्टि डालते हैं।
संत गुरु घासीदास (जन्म: 18 दिसंबर 1756)
जन्म स्थान: गिरौदपुरी, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा, छत्तीसगढ़, भारत
संत गुरु घासीदास छत्तीसगढ़ की संत परंपरा के सर्वोच्च महापुरुष माने जाते हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव, अंधविश्वास और सामाजिक असमानता के विरुद्ध आवाज उठाई। उनका मूल संदेश था — “मनखे-मनखे एक समान”, अर्थात सभी मनुष्य समान हैं।
गुरु घासीदास ने सतनाम पंथ की स्थापना कर सत्य, अहिंसा, समानता और नैतिक जीवन का मार्ग दिखाया। उनका आंदोलन सामाजिक सुधार का सशक्त माध्यम बना, जिसने दलित और वंचित वर्ग को आत्मसम्मान और चेतना दी। आज भी छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में उनके विचार सामाजिक समरसता का आधार हैं।
भिखारी ठाकुर (जन्म: 18 दिसंबर 1887)
जन्म स्थान: कुतुबपुर, जिला सारण, बिहार, भारत
भिखारी ठाकुर को भोजपुरी लोकसंस्कृति का शेक्सपियर कहा जाता है। वे केवल कलाकार नहीं, बल्कि समाज सुधारक और जनचेतना के संवाहक थे। उन्होंने अपने नाटकों और गीतों के माध्यम से स्त्री-वेदना, प्रवासी मजदूरों की पीड़ा, दहेज प्रथा और सामाजिक कुरीतियों को मंच पर जीवंत किया।
“बिदेसिया”, “गबरघिचोर” जैसे नाटक आज भी सामाजिक यथार्थ का आईना हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद भिखारी ठाकुर ने लोकभाषा को सम्मान दिलाया और आम जनता की आवाज को कला का स्वरूप दिया। उनका योगदान भारतीय लोकनाट्य इतिहास में अमर है।
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वी. वेंकटसुब्बा रेड्डीयर (जन्म: 18 दिसंबर 1909)
जन्म स्थान: आंध्र प्रदेश, भारत
वी. वेंकटसुब्बा रेड्डीयर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौर से लेकर स्वतंत्र भारत के राजनीतिक विकास तक उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। वे जनसेवा, संगठनात्मक क्षमता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे।
उन्होंने आंध्र प्रदेश में कांग्रेस संगठन को मजबूत किया और सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़े मुद्दों को विधानसभा और जनता के बीच प्रभावी ढंग से उठाया। उनका जीवन राजनीति में सादगी, सिद्धांत और सेवा भावना का उदाहरण है।
ई. एस. वेंकटरमैय्या (जन्म: 18 दिसंबर 1924)
जन्म स्थान: आंध्र प्रदेश, भारत
न्यायपालिका के क्षेत्र में ई. एस. वेंकटरमैय्या का नाम अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। वे भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने न्याय की स्वतंत्रता, संवैधानिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
उनके निर्णयों में विधिक स्पष्टता, मानवीय दृष्टिकोण और संविधान की आत्मा दिखाई देती थी। न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने और न्याय तक आम नागरिक की पहुंच सुनिश्चित करने में उनका योगदान ऐतिहासिक माना जाता है।
राम मोहन नायडू किंजरापु (जन्म: 18 दिसंबर 1987)
जन्म स्थान: श्रीकाकुलम जिला, आंध्र प्रदेश, भारत
राम मोहन नायडू किंजरापु आधुनिक भारत के युवा और ऊर्जावान नेताओं में शामिल हैं। वे आंध्र प्रदेश से लोकसभा सांसद रह चुके हैं और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
युवा नेतृत्व के प्रतीक के रूप में उन्होंने बुनियादी ढांचे, शिक्षा, डिजिटल विकास और क्षेत्रीय विकास से जुड़े मुद्दों को संसद में मजबूती से उठाया। उनका राजनीतिक सफर नई पीढ़ी की आकांक्षाओं, पारदर्शिता और विकासोन्मुख सोच को दर्शाता है।
18 दिसंबर को जन्मे ये महान व्यक्तित्व संत परंपरा, लोककला, न्याय और राजनीति के विविध आयामों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके जीवन से हमें समानता, सृजनशीलता, न्यायप्रियता और जनसेवा की प्रेरणा मिलती है। यह तिथि भारतीय इतिहास में विचार, संस्कृति और लोकतंत्र की साझा विरासत को सशक्त करती है।
