June 16, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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डीडीयू: एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम संपन्न

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र द्वारा शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए आयोजित 8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम में सोमवार को दो सत्रों में व्याख्यान संपन्न हुआ।
प्रथम सत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, हरियाणा के विधि विभाग, प्रोफेसर अजीत सिंह चहल ने ‘छात्र विविधता और भारत में समावेशी शिक्षा: मिथक या वास्तविकता’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में समावेशी शिक्षा न केवल एक नैतिक आवश्यकता है, बल्कि यह हमारे संविधान और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भी केंद्रीय भावना है। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा दो-तरफ़ा प्रक्रिया है जो न केवल वंचित और हाशिए पर खड़े समूहों को मुख्यधारा में लाती है, बल्कि समावेश करने वाले समाज में भी संवेदनशीलता, सहानुभूति और सामाजिक चेतना का विकास करती है।
द्वितीय सत्र में डॉ. एचएस गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर के वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर जेके जैन ने ‘शैक्षणिक नेतृत्व’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि शैक्षणिक नेतृत्व केवल प्रशासनिक दक्षता नहीं, बल्कि एक नैतिक, वैचारिक और प्रेरणादायक भूमिका है, जो समाज और राष्ट्र निर्माण में गहन योगदान देता है।
उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 शैक्षणिक नेतृत्व को ऐसे दृष्टिकोण से देखती है जहां उद्देश्य केवल संस्थानों का संचालन नहीं, बल्कि एक समावेशी, नैतिक और नवाचारी शैक्षणिक संस्कृति का निर्माण हो।
कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. अनिल कुमार यादव ने कहा कि इस प्रकार के संवाद और विमर्श न केवल ज्ञान-विस्तार के सशक्त माध्यम होते हैं, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में नवाचार, समावेशिता और वैचारिक समृद्धि को भी प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अतुल कुमार मिश्रा द्वारा बतौर मॉडरेटर किया गया और डॉ. रूपम जैन हाजरा ने वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में एमएमटीटीसी निदेशक प्रो. चंद्रशेखर, सह-निदेशक प्रो. राजू गुप्ता, सह-संयोजिका डॉ. पूर्णिमा मिश्रा एवं डॉ. सुशील कुमार सिंह, डॉ. मोहम्मद इरफान उपस्थित रहे।