वे हिंदू हिंदू करते रहते हैं,
पर हिंदी लिखना भूल गये,
गाँधी को भी गाली देते हैं,
जो दुनिया के सम्मानित हैं।
खादी का गुण गान तो करते हैं,
पर सिंथेटिक का सूट पहनते हैं,
नेहरू पर अटल की बातें भूल गये,
नेहरू को उल्टा पल्टा कहते हैं ।
मरने वालों को श्रद्धांजलि दी जाती है,
उनके कार्यों को याद किया जाता है,
मरने के बाद दुश्मन को भी भारत में,
रो रो कर हर सम्मान दिया जाता है।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण में राजनीति?
हिंदू न कभी कमजोर था न कभी होगा,
सूरज चंदा के रहने तक हिंदू भी होगा,
हिंदू सदा सनातन है वह सदा रहेगा।
हर मजजब और हर धर्म का कोई
न कोई एक ही व्यक्ति प्रवर्तक है,
क्या कोई हमें बतला सकता है कि
हिंदू धर्म का क्या कोई आवर्तक है?
वर्तमान में जितनी आलोचना
हिंदू की हिंदू ही अब करता है,
उतनी आलोचना तो हिंदू धर्म
विरोधी भी कभी नहीं करता है।
आदित्य निवेदन हर सनातनी से है,
अगर पहले सा ताक़तवर रहना है,
निंदा नहीं, प्रेम समर्पित करना है,
हिन्दू को हिन्दू मान एकता रखना है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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