लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। कोऑपरेटिव सोसाइटी की जमीन अपात्र लोगों को आवंटित किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस मामले की सुस्त जांच पर नाराजगी जताते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब इसकी जांच उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग के निदेशक को सौंपी जाए।
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जानकारी के अनुसार, सोसाइटी की जमीन ऐसे लोगों के नाम कर दी गई, जो पात्र नहीं थे। इस धांधली में करोड़ों रुपये के बैनामे और धन हड़पने के आरोप सामने आए हैं। वर्तमान पदाधिकारियों की ओर से इस संबंध में याचिका दाखिल की गई थी।
हाईकोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि EOW (आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन) द्वारा की जा रही जांच सुस्त और निष्प्रभावी रही है। इसी कारण कोर्ट ने विजिलेंस विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही, हाईकोर्ट ने जांच की प्रगति रिपोर्ट 25 सितंबर 2025 तक प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए हैं।
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हाईकोर्ट की टिप्पणी में यह भी कहा गया कि— “अपात्र लोगों को बैनामा कर जमीन दी गई और इस प्रक्रिया में धन का दुरुपयोग कर हड़पने की मंशा साफ नज़र आती है।”
मामला अब हाईकोर्ट की निगरानी में है और विजिलेंस विभाग की आगामी रिपोर्ट पर ही दोषियों की जिम्मेदारी तय होगी।
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