लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजधानी में आयोजित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के 42वें सम्मेलन में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि देश को सुशासन का लक्ष्य प्राप्त करना है तो न्याय प्रणाली को त्वरित और सुलभ बनाना होगा।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह गर्व की बात है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय न केवल न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है, बल्कि सभी उच्च न्यायालयों में कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या भी सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ ने अपने 102 वर्षों के इतिहास में अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं और यह संगठन राज्य की न्यायिक व्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा—
“यहाँ उपस्थित न्यायिक अधिकारी एकता, आपसी सहयोग और व्यावसायिक दक्षता के प्रमाण हैं। मैं इस अवसर पर आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। यह गर्व की बात है कि देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय हमारे राज्य में स्थित है।”

मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश एक विकसित भारत के संकल्प की ओर अग्रसर है और इसमें न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि यदि जिला स्तर पर विकास होगा तो वह राज्य के विकास में योगदान देगा और एक विकसित उत्तर प्रदेश ही विकसित भारत की नींव बनेगा।

न्यायिक सेवा संघ को 50 करोड़ की निधि इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ को 50 करोड़ रुपये की निधि प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह निधि न्यायिक अधिकारियों के कल्याण और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार में सहायक सिद्ध होगी।

कल्याण सिंह को दी श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि गुरुवार को उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी। उन्होंने कहा कि बाबूजी (कल्याण सिंह) ने अपने छोटे से कार्यकाल में दिखाया कि कैसे सुशासन और कानून का राज स्थापित किया जा सकता है।

सीएम योगी ने कहा—
“1977 में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में और 1990 में मुख्यमंत्री के रूप में बाबूजी ने साबित किया कि विरासत और विकास साथ-साथ चल सकते हैं। उनका जीवन सुशासन की एक प्रेरक गाथा है।”

सीएम योगी का यह बयान न केवल न्यायिक प्रणाली के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि प्रदेश के समग्र विकास में न्यायपालिका की भूमिका को भी केंद्र में रखता है। उनके अनुसार, त्वरित और सुलभ न्याय ही सुशासन की सच्ची आधारशिला है।