
उत्तरकाशी /उत्तराखंड (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली गांव में मंगलवार को हुए भीषण बादल फटने की घटना ने तबाही मचा दी। अचानक आई बाढ़ की तेज़ लहरों ने दर्जनों घरों को नुकसान पहुंचाया, सड़कों और पुलों को बहा दिया और इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक कम से कम 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोगों के लापता होने की आशंका है।
धार्मिक स्थल हर्षिल घाटी से सटे धराली गांव में यह हादसा सुबह के वक्त हुआ जब लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में लगे हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खिर गंगा नदी का जलस्तर अचानक तेज़ी से बढ़ गया, जिससे बाजार और रिहायशी इलाके जलमग्न हो गए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे भयावह वीडियो में लोग मदद के लिए चीखते-चिल्लाते नज़र आए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति का संज्ञान लेते हुए तत्काल बचाव और राहत कार्य शुरू करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा,“मुझे उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने की घटना की सूचना मिली है… हम लोगों को बचाने के लिए पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं।”बचाव अभियान में सेना और एनडीआरएफ तैनात
राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस बल को राहत-बचाव कार्यों में झोंक दिया है। सेना की टुकड़ियों को हर्षिल से भटवारी क्षेत्र में भेजा गया है, जहां से सबसे ज़्यादा नुकसान की खबरें आ रही हैं।
प्रशासन की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि बादल फटने से क्षेत्र में जलप्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। कई स्थानों पर संपर्क मार्ग टूट गए हैं, जिससे स्थानीय ग्रामीण इलाकों का जिला मुख्यालय से संपर्क भी टूट गया है।
सड़क, बिजली और संचार व्यवस्था प्रभावित
बाढ़ की चपेट में आने से क्षेत्र में बिजली और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप हो गए हैं। प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सेटेलाइट फोन और वॉकी-टॉकी का सहारा लेकर राहत टीमों के बीच समन्वय स्थापित कर रहा है।
पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया
अब तक 50 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और उन्हें पास के राहत शिविरों में अस्थायी रूप से ठहराया गया है। ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार और भोजन उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल मेडिकल टीमें भी सक्रिय कर दी गई हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय से भी निगरानी
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) भी घटना पर नजर बनाए हुए है और राज्य सरकार से लगातार संपर्क में है। संभावित प्रभावित परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है।
मृतक: 4 (अब तक की पुष्टि) लापता: संख्या की पुष्टि नहीं घर क्षतिग्रस्त: दर्जनों ,सड़क संपर्क: कई स्थानों पर बाधित ,राहत दल: सेना, NDRF, SDRF, पुलिस तैनात।
जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से मौसम विभाग को सतर्क रहने को कहा गया है। क्षेत्र में अगले 48 घंटे अत्यंत संवेदनशील माने जा रहे हैं। प्रशासन ने स्थानीय लोगों से पहाड़ी इलाकों में अनावश्यक आवाजाही न करने की अपील की है।
यह हादसा एक बार फिर उत्तराखंड की भूगर्भीय और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को रेखांकित करता है, जहां लगातार हो रहे निर्माण और बदलती जलवायु परिस्थितियाँ आपदा की आशंका को और बढ़ा रही हैं। फोटो ANI सौजन्य से
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