
धर्म परिवर्तन गिरोह के मामले में मुख्यमंत्री की पहली प्रतिक्रिया, समाज विरोधी तत्वों को बताया राष्ट्र विरोधी
लखनऊ/बलरामपुर (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में पकड़े गए धर्म परिवर्तन गिरोह को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब पहली बार सार्वजनिक रूप से कड़ा रुख अपनाते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि “हमारी सरकार बहन-बेटियों की गरिमा और सुरक्षा के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि आरोपी जलालउद्दीन की गतिविधियां केवल समाज विरोधी ही नहीं, बल्कि राष्ट्र विरोधी भी हैं।”
मुख्यमंत्री योगी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को लेकर किसी भी स्तर पर कोई ढिलाई नहीं बरतेगी। दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने ऐलान किया कि आरोपी जलालउद्दीन उर्फ़ जमालुद्दीन और उसके गिरोह से जुड़े सभी अपराधियों की संपत्तियां जब्त की जाएंगी और उन पर सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
समाज के लिए बनेगा उदाहरण
योगी आदित्यनाथ ने दो टूक कहा कि “राज्य में शांति, सौहार्द और महिलाओं की सुरक्षा को भंग करने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है। ऐसे लोगों को कानून के अनुसार ऐसी सजा दी जाएगी, जो पूरे समाज के लिए एक उदाहरण बने।”
जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
एटीएस और स्थानीय पुलिस की संयुक्त जांच में यह सामने आया है कि मुख्य आरोपी जलालउद्दीन उर्फ़ चांगुर बाबा मूल रूप से बलरामपुर जिले का निवासी है। उसकी सहयोगी महिला नीतू उर्फ़ नसरीन और पूरा परिवार मूलतः मुंबई का रहने वाला है।
बताया गया कि नवंबर 2015 में दुबई में जलालउद्दीन, उसकी पत्नी और बेटी ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने अपने नाम बदलकर क्रमशः जमालुद्दीन, नसरीन और सबीहा रख लिए।
इसके बाद यह परिवार बलरामपुर आकर चांद औलिया दरगाह के पास रहने लगा। वहां वह खुद को सूफी संत “हजरत बाबा जमालुद्दीन पीर बाबा” बताकर लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करता था। पुलिस और एटीएस को इस गिरोह के राष्ट्रविरोधी नेटवर्क और फंडिंग से जुड़े पहलुओं की भी जांच करनी पड़ रही है।
साजिश के पीछे छिपा नेटवर्क
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह गिरोह विशेष रूप से निर्धन, अशिक्षित और दलित वर्ग के लोगों को निशाना बनाकर धार्मिक भ्रम फैलाता था और धर्म परिवर्तन कराता था। इसके एवज में विदेशी फंडिंग और नेटवर्किंग का भी संदेह जताया जा रहा है, जिसे लेकर खुफिया एजेंसियां जांच कर रही हैं।
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