
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि आधुनिक युद्धकला के स्वरूप में व्यापक बदलाव आ चुका है, जहाँ अब राष्ट्र बिना औपचारिक युद्ध की घोषणा के ही अपने राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिए सैन्य बल का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने इस परिवर्तन को भारत द्वारा हाल ही में किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से दर्शाया, जिसे आधुनिक सैन्य रणनीति का निर्णायक उदाहरण बताया जा रहा है।
जनरल चौहान दिल्ली में एक प्रतिष्ठित सुरक्षा मंच पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के युग में युद्ध और शांति के बीच की रेखा धुंधली हो चुकी है। राष्ट्र अब पारंपरिक युद्धों की बजाय कम समय, उच्च प्रभाव और लक्षित हमलों की रणनीति अपना रहे हैं। उन्होंने कहा, “युद्ध और राजनीति का गहरा संबंध है। आज जो भी सैन्य अभियान होते हैं, उनका उद्देश्य केवल दुश्मन को हराना नहीं, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक उद्देश्यों को तेज़ी से प्राप्त करना होता है। ऑपरेशन सिंदूर इसका जीवंत उदाहरण है।”
ऑपरेशन सिंदूर: आधुनिक सैन्य रणनीति का नया चेहरा
जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर एक अत्यंत तेज़ और सटीक हमला था, जिसे भारत की सेनाओं ने बेहद कम समय में अंजाम दिया। इस ऑपरेशन का लक्ष्य किसी भूभाग पर कब्जा जमाना या नागरिक जनसंख्या को प्रभावित करना नहीं था, बल्कि यह एक निर्णायक और केंद्रित सैन्य प्रतिक्रिया थी, जिसका उद्देश्य आतंकवादी तत्वों को स्पष्ट संदेश देना था।
उन्होंने कहा, “आज की सैन्य कार्रवाई गति और प्रभाव पर आधारित है। हम पारंपरिक जमीनी लड़ाई के बिना भी बड़े सामरिक प्रभाव डाल सकते हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने यही साबित किया है।”
आतंकवाद पर सख्त संदेश: अब कोई भी सुरक्षित नहीं
पाकिस्तान का नाम लिए बिना जनरल चौहान ने कहा कि अब भौगोलिक सीमाएँ आतंकवादियों के लिए सुरक्षा कवच नहीं बन सकतीं। “आतंकवाद अब सीमाओं की परवाह नहीं करता, और न ही हमारी कार्रवाई। चाहे आतंकी कहीं भी छिपे हों — हम उन्हें निशाना बनाने के लिए तैयार हैं, यहाँ तक कि सीमापार भी।”
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि भारत किसी भी हिंसक गतिविधि के खिलाफ निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया देने में संकोच नहीं करेगा। “जो लोग भारत की सुरक्षा को चुनौती देंगे, वे अब कहीं भी सुरक्षित नहीं रह सकते।”
जनरल अनिल चौहान का यह बयान न सिर्फ भारत की सैन्य नीति में हो रहे परिवर्तन की ओर इशारा करता है, बल्कि यह आतंक के खिलाफ भारत की आक्रामक रणनीति की भी झलक देता है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं करेगा, बल्कि पहले से योजना बनाकर तीव्र प्रहार करने की नीति पर काम करेगा।
यह संदेश न केवल देश के दुश्मनों को है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की सैन्य क्षमता और रणनीतिक संकल्प का प्रदर्शन भी है।
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