Category: कविता

असम्भव कोई कार्य नहीं

स्वभाव और विचारों में अंतर हो तो,भी स्नेह में अंतर नहीं होना चाहिए,अच्छाई साबित करना जरूरी नहीं है,पर हमें अच्छा ज़रूर बनना चाहिये। जीवन में सब कुछ हासिल कर लेना,लेकिन…

असम्भव कोई कार्य नहीं

स्वभाव और विचारों में अंतर हो तो,भी स्नेह में अंतर नहीं होना चाहिए,अच्छाई साबित करना जरूरी नहीं है,पर हमें अच्छा ज़रूर बनना चाहिये। जीवन में सब कुछ हासिल कर लेना,लेकिन…

दुश्मन भी प्रिय मित्र बन जाता है

अक्सर रिश्तों की डोर मेंहम सभी उलझते रहते हैं,भावनाओं के मकड़जाल में,कभी न कभी हम सब बहते हैं। धैर्य के साथ सुलझाया जिसने,उसकी उलझने दूर हो जाती हैं,भावनायें नियंत्रित किया…

चार आश्रम,चार पुरुषार्थ

जीवन के तीन प्रहर बीते,बस एक प्रहर ही बाकी है,तीन आश्रम बीत चुके,सन्यासी जीवन बाक़ी है।बृह्मचर्य, गृहस्थ रहकर हीवानप्रस्थ भी भोग चुके,यूँ तो पुरुषार्थ किये होंगे,मोक्ष तो मिलना बाक़ी है।…

चिता में जलने के बाद

जीवन में निराश होकर रहना औरोंकी चमक देख ही विचलित होना है,उनकी सफलता नहीं संघर्षों से भी,हमने खुद को अवगत करवाना है। अपने सपने सच हो जायें इसलियेसिद्धान्तों पर चलना…

सबको ख़ुश रख पाना मुश्किल काम

कहते हैं कि सबको ख़ुश रख पानाबहुत ही मुश्किल भरा काम होता है,एक को ख़ुश करो दूसरा अपने आप,बरसाती मेंढक की तरह फुदकता है। संबेदनशीलता लोगों के चरित्रकी बहुमूल्य ख़ज़ाना…

जाति और धर्म भाषा के नाम पर हम लड़े और लड़ कर बिखरते रहे

गैरो ने भाप ली अपनी कमजोरियांबांटते वो रहे और हम बटते रहे।।शादियों पहले यही तो हुआहम जाति -पाती के नाम पर लड़ते और बटतेरहे ।और गैर हमारी इसी कमजोरी का…

राम-कृष्ण की जन्मभूमि

कोई नाराज़ होता है होने दो,वह भारत के मेहमान नहीं हैं,सारे संसार से वह लड़ते हैं,इनके कोई सिद्धांत नहीं हैं। राम कृष्ण की जन्मभूमि है,इसका मान तो करना होगा;यह भारत…

महाप्रभु त्रिलोकी

महासुदर्शन धर वासुदेव को नमन,श्री धन्वंतरि भगवान जी को नमन,अमृत कलश जिनके हाथों में है,महाप्रभू त्रिलोकनाथ को नमन। सर्व भय से निर्भय करने वाले,सर्व रोगों से निरोगी करने वाले,सर्व पापों…

हमारे शब्द और सोच

हमारे शब्द और हमारी सोच दोनोही अत्यंत संवेदनशील होते हैं,कभी इनसे नज़दीकियाँ बढ़ती हैं,तो कभी हमारी दूरियाँ बढ़ा देते हैं। इसीलिये कहते हैं तोल मोल के बोल,क्योंकि अपने ही शब्द…

गुप्त नवरात्रि:नौवीं महाविद्या मातंगी देवी

नौवीं महाविद्या मातंगी माता,दस महाविद्याओं में से एक हैं,मातंगी माता वाणी, कला औरसंगीत की देवी मानी जाती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मातंगीमाँ को भगवान विष्णु और लक्ष्मीमाँ का स्वरूप…

ईश्वर सबको प्रसन्न रखता है

जैसे ईश्वर सबको प्रसन्न रखता है,इसलिए सबपर दया भाव रखता है,वैसे ही मनुष्य से सब ख़ुश रहते हैं तोउसे भी सबसे समन्वय रखना होता है। तब रोटी खाने में स्वादिष्ट…