Category: कविता

हिन्दी: नारे व स्वतंत्रता संग्राम

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन केप्रमुख वचन व नारों में हिंदी थी,स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी के नारोंकी अत्यंत विशिष्ट भूमिका थी। स्वतंत्रता के लिए हिन्दी नारों नेभारत में ऐसी जान फूंक दी…

कविता अनुपस्थिति में उपस्थिति है: डॉ. सुधाकर

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। नागरी प्रचारिणी सभागार में मंगलवार को युग द्रष्टा जनवादी कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की जयंती पर स्मृति संवाद गोष्ठी व काव्य पाठ का आयोजन किया गया।…

जीवन की वास्तविकता!

प्रकृति की ख़ूबसूरती पेड़ पौधों,उनके पल्लव पुष्पों से दिखती है,इन्सानी ख़ूबसूरती वैसे ही उनकेविचार व्यवहार पर निर्भर करती है। नीचा दिखाने वाले सरे राह मिलेंगे,लड़ने झगड़ने वाले हर ठौर मिलेंगे,ईर्ष्या…

हाथी जैसी चाल चल रहा तन्त्र

ऑफिस में आओ मिलो आकर,काम सही हो जाएगा मिलकर,बस एक इशारा वो देते हैं फिर,जेब गर्म उनकी कर दो जाकर। भ्रष्टाचार की नींव मज़बूत यहाँ,जेब गर्म करने की होती बात…

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम: योगेश्वर श्री कृष्ण

अच्युतम केशवम, कृष्ण दामोदरम,रामनारायणम, जानकीवल्लभम,राम जन्में थे त्रेता में दशरथ के घर,कृष्ण जन्मे थे द्वापर में कारागार में। राम का अवतार, प्राप्त वर से हुआ,कृष्ण जन्मे, कंस को मिले श्राप…

घोर कलियुग है भाई

स्थानीय समाचार पत्रों का समाचारमन को कितना विचलित कर देता है,ऐसा लगता है, घोर कलियुग है, भाईभाई, मित्र मित्र की हत्या कर देता है। किसको दोष दिया जाय, उस बालक…

और जब मरो तो मर कर जियो

प्रथम से लेकर अंतिम साँस तक,मानव जीवन की वास्तविकता है,इन साँसों को जी भर कर जियो,और जब मरो तो मर कर जियो। जन्म के समय सब नग्न होते हैं,मृत्यु के…

प्रकृति की नाराज़गी हैं भयंकर…!

नाराज़ प्रकृति की नाराज़गी हैं भयंकर,स्वार्थवश संसाधनों का ‘दोहन’ निरंतर।प्रकृति-मानव का संबंध सदियों पुराना,ऊपर उठाया लाभ चुरा लिया खजाना।पिघल रहे ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन,असमय बाढ़, सूखा, तूफान, भूस्खलन।प्राकृतिक विपदाओं से जूझ…

पहली बार

आजमैं पहली बारमन्दिर की ओर चल पड़ाघण्टों वहाँ बैठा रहाऔर जब घर लौटा —तो रात भर बस यही सोचता रहाकि वर्षों तकमैं ईश्वर का खण्डन करता रहाक्या वह सही था?…

तुलसी जयंती की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन आयोजित, गीतों और कविताओं से श्रोतागण भावविभोर

देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया द्वारा तुलसी जयंती की पूर्व संध्या पर एक भव्य काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध गीतकार दयाशंकर कुशवाहा ने…

कारगिल विजय दिवस : भारतीय सेना के शौर्य का प्रतीक

बलिया(राष्ट्र की परम्परा) भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतवासियों के लिए गौरव और सम्मान का प्रतीक है। वर्ष 1999 में…

नियति का खेल

बलिया(राष्ट्र की परम्परा) सूख गई नदी लहरों का पता नहीं।जीव जंतु बेहाल है पानी का पता नहीं।।टूटी हुई है नाव नाविक का पता नहीं।मृत पड़ी है मछलियां मछुआरों का पता…

शिव ही आदि, शिव ही अंत

शिव ही आदि, शिव ही अंत हैं,शिव ही ब्रह्म, शिव ही ब्रह्मतंत्र हैं।शिव ही बीज, शिव ही वृक्ष विशाल,शिव में छिपा संपूर्ण काल। शिव ही सृष्टि के मूल स्रोत हैं,शिव…