अमृतसर (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)पंजाब की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है और इसकी वजह बने हैं राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और लंबे समय तक कांग्रेस का मजबूत चेहरा रहे अमरिंदर सिंह ने एक साक्षात्कार में भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके बयान न सिर्फ भाजपा के लिए असहज करने वाले हैं, बल्कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए भी सियासी चुनौती बनकर सामने आए हैं।
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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि भाजपा का संगठनात्मक ढांचा अत्यधिक केंद्रीकृत है, जहां ज़मीनी नेताओं से न तो सलाह ली जाती है और न ही उनके अनुभव का सम्मान होता है। उन्होंने कहा कि पार्टी में उनके 60 वर्षों के राजनीतिक अनुभव का कोई उपयोग नहीं हो रहा। “मैं खुद को पार्टी पर थोप नहीं सकता, लेकिन यह सच है कि मुझसे कभी पूछा ही नहीं जाता,” यह टिप्पणी भाजपा के भीतर असंतोष का संकेत मानी जा रही है।
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हालांकि, अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में वापसी की संभावनाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने 2021 में मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने को अपमानजनक बताते हुए कहा कि उस पीड़ा को वह आज भी नहीं भूल पाए हैं। साथ ही यह भी जोड़ा कि यदि सोनिया गांधी व्यक्तिगत रूप से मदद मांगें तो वे करेंगे, लेकिन राजनीतिक वापसी संभव नहीं है। यह बयान कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक अप्रत्यक्ष लेकिन तीखा कटाक्ष माना जा रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा कि मोदी का पंजाब से विशेष लगाव है और वे राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन उन्होंने भाजपा को चेताया कि यदि पार्टी पंजाब में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है, तो उसे तीन-चार चुनावी कार्यकाल का धैर्य रखना होगा और ज़मीनी नेताओं को सुनना होगा। उनके अनुसार भाजपा अकेले दम पर पंजाब में सरकार नहीं बना सकती और उसका भविष्य शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ गठबंधन में ही सुरक्षित है।
अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कहा कि भाजपा और अकाली दल अंततः फिर साथ आएंगे, क्योंकि बिना गठबंधन के मजबूत सरकार संभव नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि गठबंधन का अभाव ही भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने से भी “बड़ी आपदा” साबित हुआ।
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कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर हमला करते हुए अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस को नेतृत्वहीन करार दिया और कहा कि वहां मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं, लेकिन किसी का भविष्य उज्ज्वल नहीं। वहीं ‘आप’ को लेकर उन्होंने दावा किया कि यह पार्टी अपने अंतिम अवसर पर है और 2027 के विधानसभा चुनाव में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब “भिखारी राज्य” बनता जा रहा है, निवेश ठप है और शासन टीवी पर बयानबाजी तक सीमित रह गया है। उनका आरोप है कि असली सत्ता दिल्ली से संचालित हो रही है।
नवजोत सिंह सिद्धू और नवजोत कौर सिद्धू पर उनके तीखे हमलों ने राजनीतिक माहौल और गर्मा दिया है। सिद्धू दंपती के बयानों को उन्होंने झूठा और अस्थिर बताया, जिसके बाद पलटवार भी शुरू हो गया।
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कुल मिलाकर, अमरिंदर सिंह का यह साक्षात्कार सिर्फ व्यक्तिगत असंतोष नहीं, बल्कि पंजाब की राजनीति की गहरी खामियों को उजागर करता है। यह संकेत देता है कि राज्य में भाजपा, कांग्रेस और ‘आप’—तीनों ही दल आंतरिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं और आने वाला समय पंजाब की राजनीति के लिए बेहद निर्णायक साबित हो सकता है।
