July 5, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

भैया हमहूँ रहेन बैसवारे मां

नाम कर्नल आदि शंकर मिश्र औ
काम, सर्वहितकारी,बस एतना तुम
जानि लेव, हमहूँ रहेन बैसवारे मां।
भैया हमहूँ रहेन बैसवारे मां।

पैदा हुये, पढ़े लिखे, खेले कूदे,
हाट बाज़ार किये स्कूल कॉलेज
किये, सबै काम गंगा किनारे मां।
भैया हमहूँ रहेन बैसवारे मां।

अंबिकन, चंदिकन औ संकठन
देविन के दर्शन कीन्ह, महावीर
बाबा बारा सगवर के गाँवै मां।
भैया हमहूँ रहेन बैसवारे मां।

तकिया, मोरारमऊ, के मेले देखे,
बीघापुर, भगवंतनगर, लालगंज ई
सब बड़े बड़े क़स्बा,हवैं बैसवारे मां।
भैया हमहूँ रहेन बैसवारे मां।

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ कवि
शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ जी हुये,
चंद्रभूषण त्रिवेदी ‘रमई काका’।
भैया सब रहे हमरे बैसवारे मां।

आचार्य महाबीर प्रसाद द्विवेदी,
नंददुलारे बाजपेयी शिक्षाविद,
कृष्णदत्त बाजपेयी पुरातत्वविद।
इनहूँ सब रहे हमरे बैसवारे मां।

रविशंकर शुक्ल,द्वारिकाप्रसाद मिश्र,
हृदयनारायण दीक्षित से राजनेता
राजा रावराम बक्स, बक्सर और
डौड़िया खेड़ा, ऊँचगाँव, सुमेरपुर।

अचलगंज, हड़हा,सिकंदरपुर,
पाटन, बिहार, धानीखेड़ा, टेढ़ा,
सरेनी, भोजपुर, पूरेपांडे आदि,
सारे बड़े गाँव परति बैसवारे मां।

हम नाम ना बतईबे उनका, तुम
जानि लेव कि काम ख़ुराफ़ाती है,
आदित्य, हमहूँ रहेन बैसवारे मां।
भैया हमहूँ सब रहेन बैसवारे मां।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ