बिहार(राष्ट्र की परम्परा)
प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दिन प्रतिदिन बदल रही है और यह संभव हो रहा है उक्त विद्यालय के शिक्षकों के अथक प्रयास से बिहार की सबसे बड़ी प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी टीचर्स ऑफ बिहार से जुड़कर लाखों शिक्षक प्रतिदिन अपने अपने विद्यालय में बच्चों के बीच एक से बढ़कर एक नवाचारी गतिविधि के माध्यम से शिक्षण कार्य कर रहे हैं, जिससे बिहार के सरकारी विद्यालयों में काफी बदलाव दिख रहा है।
टीचर्स ऑफ बिहार एक ऐसा लर्निंग कम्युनिटी प्लेटफॉर्म है जहां एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट शिक्षक निःस्वार्थ भाव से दिन रात मेहनत कर बिहार के सरकारी विद्यालयों की दशा और दिशा बदलने के लिए कार्य कर रहे हैं।
लेकिन इन सब के बावजूद संबंधित विद्यालयों के पोषक क्षेत्र के अभिभावकों या यूं कहे कि बिहार के लगभग सभी जिलों में सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक अभी भी शिक्षकों पर ही दोषारोपण लगाते हैं कि सरकारी विद्यालय में बेहतर पढ़ाई नही होती है।
इस संबंध में मृत्युंजय ठाकुर, शिक्षक, नवसृजित प्राथमिक विद्यालय खुटौना यादव टोला, पताही, पूर्वी चम्पारण-सह-प्रदेश मीडिया संयोजक, टीचर्स ऑफ बिहार ने बताया कि अभिभावकों की अवधारणा सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के प्रति बिल्कुल गलत है। हमारे सभी शिक्षक अपने अपने विद्यालयों में शत-प्रतिशत बेहतर शैक्षिक माहौल तैयार करने के लिए रोज नये-नये नवाचारी गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं साथ ही उनके बेहतर भविष्य निर्माण को लेकर दृढ़संकल्पित है।
ठाकुर ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में केवल शिक्षकों की भूमिका ही महत्वपूर्ण नही है बल्कि उनके माता-पिता या अभिभावकों की भी समान जिम्मेदारियां होनी चाहिए। जबतक शिक्षक और अभिभावक की समान सहभागिता बच्चों पर न पड़े तबतक बेहतर शिक्षा की परिकल्पना बेमानी सी लगती है। शिक्षक तो अपना बेहतर बच्चों के लिए लगातार देते आ रहे हैं लेकिन अभिभावक की भूमिका अबतक संतोषजनक नजर नही आ रहा है खासकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में।
इसलिए अभिभावक खुद भी जिम्मेवार बने बच्चों के विद्यालय आने से पहले एवं विद्यालय से जाने के बाद उनपर विशेष ध्यान देते हुए अपने दायित्व का निर्वहन खुद भी इमानदारी पूर्वक करे।
ठाकुर ने कहा कि अगर राज्य के वैसे तमाम अभिभावक जिनके बच्चे सरकार विद्यालय में पढ़ते है ,अपने दायित्व का निर्वहन एक साल तक लगातार बच्चों के बेहतरी के लिए करके देखे तथा अवलोकन करे, वे खुद समझ जाएंगे कि शिक्षकों पर दोषारोपण लगाना तो आसान है पर अपने आप पर नही। राज्य के तमाम शिक्षक सरकारी स्कूलों में बेहतर शैक्षिक माहौल तैयार करते आ रहे हैं और आगे भी सरकारी स्कूलों की दशा व दिशा बदलने के लिए प्रतिबद्ध है, बस जरूरत है अभिभावकों को अपना नजरिया बदलने की और शिक्षकों की तरह ही अपने बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने की।
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