समय से इलाज कर मुश्किलों से बच सकते हैं किडनी के रोगी
खान-पान में परहेज व परामर्श से सुधर सकती है मरीज की स्थिति
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। किडनी या गुर्दे की बीमारी को ‘साइलेन्ट किलर’ भी कहा जाता है। प्रथम अवस्था में कभी भी इसका पता नहीं चलता है। यह शरीर का एक ऐसा अंग होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थो को पेशाब के रूप में बाहर निकालने का कार्य करता है। किडनी को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी होता है।होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से किडनी का बेहतर इलाज संभव है। उक्त बातें होम्योपैथी चिकित्सक डा हेमंत श्रीवास्तव ने एक प्रेस नोट के माध्यम से कहीं। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग की जीवनशैली से आमजन में किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ गया है। इससे बचने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है। कि व्यक्ति अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच कराए तथा चिकित्सक के परामर्श
के मुताबिक अपना इलाज प्रारंभ करे। किडनी ऐसी बीमारी है कि यदि मरीज समय से इसका इलाज प्रारंभ नही किया
तो समय की देरी के साथ उसकी स्थिति अत्यंत खराब हो जाती है। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में किडनी
के इलाज के लिए दी जाने वाली ‘औषधियों में दवा की मात्रा अत्याधिक सूक्ष्म होती है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श कर यदि चिकित्सा ली जाये तथा खान-पान में परहेज किया जाये तो तो इस रोग का बेहतर इलाज संभव होगा। रोगी डायलिसिस एवं गुर्दा प्रत्यारोपण जैसी. पीड़ा दायक स्थिति से भी बच सकेंगे। उन्होंने कहा कि किडनी रोग का शुरूआती लक्षण किडनी रोग होने पर मरीजों की पेशाब की मात्रा कम होती है या बढ़ जाती है। पेशाब गाढ़े रंग का होता है तथा मरीज को बार-बार पेशाब लगे होने का एहसास होता है। पेशाब के दौरान दर्द होना, पेशाब में खून आना, हाथ और चेहरे पर सूजन होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
डा. श्रीवास्तव ने कहा कि किडनी की बीमारी का इलाज करने के लिए होम्योपैथी में दवाओं का भंडार है। बस जरूरत है। इसके नियमित रूप से सेवन करने की। दवा का नियमित सेवन कर मरीज बीमारी व परेशानी दोनों से बच सकते हैं।
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