मुंबई(राष्ट्र की परम्परा) देश में नागरिकता संशोधन कानून 2024 लागू हो गया है। इस कानून के लागू होने से पूरे देश में खुशी का माहौल है, लेकिन इसके साथ ही हिंदुस्तान के सिर्फ दो राज्य केरल और पश्चिम बंगाल इस कानून के लागू होने से बेहद दुखी हैं l
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कानून का खुलकर विरोध किया है, जो देश हित में कतई नहीं है l यह लोग मुसलमानों को यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि इस कानून के अमल में आने के बाद उनकी नागरिकता छिन जाएगी, लेकिन हकीकत इसके बिलकुल उलट है। यह कानून किसी की भी नागरिकता लेने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है जिसका पूरे देश में स्वागत किया जा रहा है l इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह जो कहते हैं वही करते भी हैं l भाजपा नेता और पूर्व उपमहापौर बाबूभाई भवानजी ने सीएए कानून का स्वागत किया है और कहा कि इस कानून का विरोध करने वाले दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और दोनों राज्यों में माहौल खराब होने से बचाने के लिए यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए l सीएए कानून के लागू होने के बाद अब मुस्लिम देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से जो हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर भारत में आए है, उन्हें अब भारत की नागरिकता मिल जाएगी। जबकि इस संशोधित कानून में भारत के मौजूदा किसी भी नागरिक की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन इसके बाद भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सीएए कानून को लागू करने से मना कर दिया है।
भाजपा नेता बाबू भाई भवानजी ने कहा कि इन दोनों मुख्यमंत्रियों का यह रुख देश को तोड़ने वाला है। सब जानते हैं कि इन दोनों मुख्यमंत्रियों ने अपने अपने प्रदेश के मुस्लिम मतदाताओं को खुश करने के लिए ऐसा बयान दिया है। जबकि सच्चाई यह है कि सीएए लागू होने से किसी भी मुसलमान की नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह दोनों मुख्यमंत्री चाहते हैं कि जिस प्रकार हिंदू सिख जैन बौद्ध पारसी और ईसाइयों को भारत की नागरिकता दी जा रही है, उसी प्रकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले मुसलमानों को भी नागरिकता दे दी जाए। इन मुख्यमंत्रियों का यह तर्क समझ से परे है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में किसी भी मुसलमान को धर्म के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाता, क्योंकि यह तीनों मुस्लिम देश है।
यानी इन देशों के मुसलमान इस्लाम धर्म के अनुरूप आचरण करते हैं। 1947 में तो विभाजन के समय मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान इसलिए बनवाया कि मुसलमान भारत में हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते हैं। ममता बनर्जी और विजयन बताए कि जब धर्म के आधार पर पाकिस्तान बना तो फिर पाकिस्तान से मुसलमानों को भारत में लाने की जिद क्यों की जा रही है? यदि इस कानून के दायरे में मुसलमानों को भी शामिल कर लिया जाएगा तो पूरा पाकिस्तान ही भारत में आ जाएगा। आज पाकिस्तान में जो हालात है उसमें मुसलमानों को दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रही है। जबकि भारत में 81 करोड़ लोगों को प्रतिमाह पांच किलो अनाज सरकार की ओर से मुफ्त मिल रहा है। अस्पतालों में फ्री इलाज से लेकर मुफ्त में पक्के मकान तक मिल रहे हैं। पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमान सरकार की इन सुविधाओं की कल्पना भी नहीं कर सकते। पाकिस्तान में भले ही धर्म के आधार पर हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाइयों को प्रताड़ित किया जा रहा है, लेकिन भारत में मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं होता। मुफ्त अनाज से लेकर मकान तक मुसलमानों को भी मिल रहे हैं। असल में ममता बनर्जी और विजयन जैसे नेता बेवजह भारत के मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे ने तो सिर्फ मुसलमानों के हमदर्द होने का दिखावा कर रहे हैं। भारत के 25 करोड़ मुसलमानों को ममता और विजयन जैसे नेताओं से सावधान रहना चाहिए।
भाजपा नेता बाबू भाई भवानजी ने दावा किया है कि अब तक बांग्लादेश और पाकिस्तान से घुसपैठ कर भारत आए तीन करोड़ मुसलमानों ने भारत में नागरिकता हासिल कर ली है। ऐसे मुसलमानों ने नेताओं की सिफारिश से भारत में सरकारी दस्तावेज बनवा लिए हैं। ऐसे लोग आज धड़ल्ले से सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। इसके विपरीत इन मुस्लिम देशों से आए हिंदू, सिख जैन बौद्ध पारसी और ईसाई आज भी भारत में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। सरकारी दस्तावेज के अभाव के कारण ऐसे हिंदू सरकारी सुविधाओं से वंचित है। यहां तक कि सरकारी स्कूलों तक में नहीं पढ़ पा रहे हैं। हिंदू भारत में नागरिकता नहीं लेगा तो फिर कहां जाएगा? क्या पाकिस्तान का हिंदू ईरान और इराक में जाकर नागरिकता लेगा? यदि पाकिस्तान में हिंदुओं को प्रताड़ित नहीं किया जाता तो ऐसे हिंदू भारत में नहीं आते। पाकिस्तान में जब हिंदू परिवार की लड़कियों का अपहरण और जबरन निकाह होता है तब ममता बनर्जी और विजयन जैसे नेता चुप रहते हैं। वैसे भी किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को सीएए को लागू न करने का कोई अधिकार नहीं है। यह कानून भारत सरकार का है तो स्वत: ही पूरे देश में लागू होगा।
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