March 13, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

नई कहानी बन

हिसार (राष्ट्र की परम्परा)
बस दिल से सच्चा हिंदुस्तानी बन।
आये देश के काम वह जवानी बन॥

क्यों जला रहा ख़ुद से ही ख़ुद को,
अगर वह आग तो तू पानी बन।

क्या हुआ जो उन्होंने भुला दिया,
तेरी याद सताए वह निशानी बन।

वक़्त के साथ बदलेंगे सभी रिश्ते,
तू दिल में रहे सदा वह रवानी बन।

ग़ज़लें बहुत लिखी गयी मोहब्बत की,
ये नया दौर है तू नई कहानी बन।

क्या बिगाड़ लेगी पतझड़ सौरभ का,
तू सावन की फुहार मस्तानी बन।

निज रक्त से नई इबारत लिखकर,
देशहित की इतिहासिक कुर्बानी बन।

प्रियंका सौरभ