बलिया(राष्ट्र की परम्परा)
राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम वायरल हेपेटाइटिस को दुनिया में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचाना जाता है। भारत में, अनुमान है कि हेपेटाइटिस बी से 40 मिलियन लोग पीड़ित हैं और हेपेटाइटिस सी से 6-12 मिलियन लोग पीड़ित हैं।इस क्रम भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के मनसा के अनुरूप एवं बलिया जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय वायरल हेपिटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम ज़िला चिकित्सालय में मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ सुजीत कुमार यादव के नेतृत्व में जागरूकता बैठक संपन्न हुई।
यादव ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य हेपेटाइटिस से लड़ना और 2030 तक हेपेटाइटिस सी का देशव्यापी उन्मूलन करना, हेपेटाइटिस बी और सी अर्थात सिरोसिस और हेपेटो-सेलुलर कार्सिनोमा (यकृत कैंसर) से जुड़ी संक्रमित आबादी, रुग्णता और मृत्यु दर में महत्वपूर्ण कमी लाना तथा हेपेटाइटिस ए और ई के कारण होने वाले जोखिम, रुग्णता और मृत्यु दर को कम करना है। यादव ने कहा यह कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य 3 को प्राप्त करने की दिशा में हमारी वैश्विक प्रतिबद्धता के अनुरूप है; लक्ष्य 3.3 जिसका लक्ष्य “2030 तक, एड्स, तपेदिक, मलेरिया और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों की महामारियों को समाप्त करना और हेपेटाइटिस, जल जनित रोगों और अन्य संचारी रोगों से निपटना है” यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मौजूदा स्वास्थ्य प्रणालियों के ढांचे के भीतर हस्तक्षेप को एकीकृत करने से स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र तक वायरल हेपेटाइटिस के परीक्षण और प्रबंधन तक पहुंच बढ़ाने के प्रयासों को और अधिक बल मिलेगा। श्री यादों ने बताया कि हमारा बलिया जिला पिछड़ा हुआ इलाका है जहां पर गांव सुदूर मैं आबादी बसती है इसको ध्यान में रखते हुए हमारे यहां जिलाधिकारी महोदय के प्रयास से हेपेटाइटिस संबंधी बीमारी का इलाज उपलब्ध है साथ ही हेपेटाइटिस बी और सी के लिए मुफ्त दवाएं और निदान तथा हेपेटाइटिस ए और ई के प्रबंधन का प्रस्ताव है, श्री यादव ने कहा कि देश के सभी जिलों में वायरल हेपेटाइटिस और इसकी जटिलताओं के प्रबंधन के लिए व्यापक सेवाएं प्रदान करने के लिए मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करना, मौजूदा मानव संसाधन की क्षमता का निर्माण करना और जहां आवश्यक हो, अतिरिक्त मानव संसाधन जुटाना। वही नोडल अधिकारी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि सेवाओं का एक प्रोत्साहनपूर्ण, निवारक और उपचारात्मक पैकेज प्रदान करने के लिए अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों और योजनाओं के साथ समन्वय और सहयोग लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत सरकार के दृढ़ प्रयासों को और बढ़ाएगा, इस पहल के तहत निवारक उपाय के रूप में प्रमुख आबादी और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के बीच हेपेटाइटिस बी के लिए वयस्क टीकाकरण भी शुरू किया गया है, इंजेक्शन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘पुनः उपयोग रोकथाम सिरिंज’ का उपयोग करने की नीति भी तैयार की गई है श्री कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत एक अन्य रणनीति उन स्थानों पर हेपेटाइटिस बी की जांच करना है जहां संस्थागत प्रसव 80% से कम है ताकि जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका और यदि आवश्यक हो तो हेपेटाइटिस बी इम्युनोग्लोबुलिन का प्रावधान सुनिश्चित किया जा सके। श्री कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर इस दिशा में काम करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा। भारत सरकार, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के बीच प्रभावी भागीदारी से कार्यक्रम को उत्तरोत्तर मजबूती मिलेगी और यह कार्यक्रम के उद्देश्य को प्राप्त करने की पहचान बनी रहेगी। कार्यक्रम के को प्रभारी डॉ रितेश कुमार सोनी ने बताया कि हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है जिसके रोकथाम के लिए अवेयरनेस के साथ-साथ साफ सफाई एवं समय पर समुचित उपचार जरूरी है, सोनी ने बताया कि,हेपेटाइटिस से लड़ना और 2030 तक हेपेटाइटिस सी का देशव्यापी उन्मूलन करना, हेपेटाइटिस बी और सी अर्थात सिरोसिस और हेपेटो- सेलुलर कार्सिनोमा (यकृत कैंसर) से जुड़ी संक्रमित आबादी, रुग्णता और मृत्यु दर में महत्वपूर्ण कमी लाना,हेपेटाइटिस ए और ई के कारण होने वाले जोखिम, रुग्णता और मृत्यु दर को कम करना,श्री सोनी ने बताया कि हेपेटाइटिस के बारे में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना तथा सामान्य जनसंख्या, विशेषकर उच्च जोखिम वाले समूहों और हॉटस्पॉट्स में निवारक उपायों पर जोर देना,स्वास्थ्य देखभाल के सभी स्तरों पर वायरल हेपेटाइटिस का शीघ्र निदान और प्रबंधन प्रदान करना, वायरल हेपेटाइटिस और इसकी जटिलताओं के प्रबंधन के लिए मानक नैदानिक और उपचार प्रोटोकॉल विकसित करना, सोनी ने बताया कि बलिया ज़िला चिकित्सालय में हेपेटाइटिस बी और सी दोनों के लिए निःशुल्क जांच, निदान और उपचार स्वास्थ्य देखभाल के सभी स्तरों पर चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराया जाएगा।इस दौरान डॉ आर.डी राम, डॉ विनेश कुमार, डॉ वी.के राय, डॉ पी.के झा, डॉ दीपक कुमार, डॉ सौरभ सिंह, डॉ जितेंद्र सिंह एवं कर्मचारीगण मौजूद रहे।
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