देवरिया, (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) लोक निर्माण विभाग (PWD) के निर्माण खण्ड देवरिया में एक बड़े घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यह मामला अक्टूबर 2021 में उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही के कार्यक्रम से जुड़ा है, जहां कार्यक्रम के नाम पर ढाई करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बिलिंग कर भुगतान प्राप्त करने का प्रयास किया गया।
कार्यक्रम के नाम पर खर्च, लेकिन दस्तावेज फर्जी!
17 अक्टूबर 2021 को देवरिया के पथरदेवा स्थित आचार्य नरेन्द्र देव इंटर कॉलेज में एक महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस अवसर पर पंडाल, मंच, बैरिकेटिंग, स्विस कार्टेज और सुरक्षा व्यवस्था जैसे प्रबंध किए गए थे। इन व्यवस्थाओं के लिए एक निजी फर्म द्वारा कुल ₹4.27 करोड़ का खर्च दिखाया गया, जिसमें से अधिकांश भुगतान पहले ही किया जा चुका था।
कार्य के समापन के बाद दोबारा भुगतान की मांग
आश्चर्यजनक रूप से, कार्यक्रम के समापन के वर्षों बाद उसी कार्य के नाम पर फर्म द्वारा ₹2,50,20,971 का बिल पुनः PWD देवरिया को भुगतान हेतु प्रस्तुत किया गया। इस बिल में 34 आपूर्ति आदेशों का हवाला दिया गया था।
अधिशासी अभियंता ने की सतर्कता, खुली पोल
जब यह बिल अधिशासी अभियंता के पास पहुंचा, तो उन्हें दस्तावेजों की सत्यता पर संदेह हुआ। चूंकि अब वे देवरिया से स्थानांतरित होकर सिद्धार्थनगर में तैनात हैं, उन्होंने जांच के लिए संबंधित प्रांतीय खण्ड, सिद्धार्थनगर से संपर्क किया।
सिद्धार्थनगर से आया खुलासा
21 जून 2025 को सिद्धार्थनगर से आए उत्तर में अधिशासी अभियंता ने साफ तौर पर कहा कि न तो उन्होंने किसी प्रकार का आपूर्ति आदेश जारी किया है, और न ही उनके हस्ताक्षर इन दस्तावेजों पर हैं। इतना ही नहीं, किसी भी लिपिक, लेखाधिकारी या सहायक अभियंता के हस्ताक्षर भी इन कागजातों पर नहीं हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सारे दस्तावेज फर्जी हैं और अधिकारियों के नाम से कूटरचित हस्ताक्षर कर भुगतान की कोशिश की गई।
वरिष्ठ अधिकारियों से उच्च स्तरीय जांच की मांग
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए अधिशासी अभियंता ने प्रमुख अभियंता (विकास), मुख्य अभियंता (गोरखपुर क्षेत्र), और अधीक्षण अभियंता (देवरिया वृत्त) को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर वैधानिक कार्रवाई करने की मांग की है।
राजनीतिक कार्यक्रम की आड़ में घोटाले की साजिश
यह मामला यह भी दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक कार्यक्रमों की आड़ में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर बड़े घोटाले रचे जा सकते हैं। यह केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का गंभीर मामला है, जिस पर तत्काल और कठोर कार्रवाई आवश्यक है।
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