अष्टमी – भक्ति, सौभाग्य और समृद्धि का दिन
नवरात्रि हिन्दू धर्म का अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो माँ दुर्गा के नौ रूपों के सम्मान में मनाया जाता है। इस महापर्व का आठवां दिन, जिसे अष्टमी कहा जाता है, विशेष रूप से मां महागौरी को समर्पित होता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है।
मां महागौरी का रूप अत्यंत पवित्र, शांत और करुणामयी है। चार भुजाओं वाली यह देवी अपने भक्तों की कठिनाइयों को दूर करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं। अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करने से जीवन में आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मां महागौरी की पूजा का महत्व
मां महागौरी का अर्थ है “सर्वशुद्धा और शांति की देवी”। उनका स्वरूप अत्यंत सुंदर और चमकदार माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि अष्टमी व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार के पाप और दुख दूर होते हैं।
भक्तों के अनुसार, मां महागौरी के आशीर्वाद से परिवार में प्रेम, भाईचारा और खुशहाली बनी रहती है। इसके साथ ही आर्थिक स्थिति में भी सुधार आता है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है।
पूजा की विधि और विधान
अष्टमी पूजा को विधिपूर्वक करने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं।पूजा स्थान की सजावट।पूजा स्थान को साफ-सुथरा करें।रंगोली बनाएं और मां महागौरी की तस्वीर या मूर्ति को प्रमुख स्थान पर रखें। दीपक, अगरबत्ती और फूलों से वातावरण पवित्र बनाएं।
- मंत्र और ध्यान
- मंत्र का जाप करते हुए देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। प्रमुख मंत्र है:
- “ॐ देवी महागौर्यै नमः”
- ध्यान और भक्ति से मंत्र का उच्चारण करें।
- पूजा सामग्री
- लाल या सफेद वस्त्र
- हल्दी, कुंकुम और चावल
- फूल (गुलाब, कमल, चंपा)
- मिठाई और फल
- पूजा विधि
- हाथ और मुँह साफ करें।
- देवी की मूर्ति पर वस्त्र अर्पित करें।
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल) से अभिषेक करें।
- फूल, चंदन और धूप अर्पित करें।
- मंत्र जाप करते हुए आरती करें।
- अंत में फल और प्रसाद वितरण करें।
- व्रत और कथा
- अष्टमी व्रत करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। कथा अनुसार, चंद्रवती नामक स्त्री ने अपनी भक्ति और व्रत से देवी की कृपा पाई। अष्टमी व्रत से परिवार में सौभाग्य और शांति आती है।
अष्टमी की प्रमुख कथा
कथा में बताया गया है कि मां महागौरी ने अपने भक्तों के दुख और कठिनाइयों को दूर करने के लिए पवित्र रूप धारण किया। एक बार चंद्रवती नामक स्त्री अत्यंत दुखी थी। उसने अपनी भक्ति और अष्टमी व्रत से मां महागौरी की पूजा की। देवी प्रसन्न हुईं और उसके घर में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का वास हुआ। यही कारण है कि अष्टमी व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है।
प्रमुख मंदिर जहाँ होती है अष्टमी पूज
चंद्रेश्वरी मंदिर, टीकमगढ़, मध्य प्रदेश
- यहां अष्टमी व्रत और मां महागौरी की पूजा अत्यंत प्रसिद्ध है। नवरात्रि के समय भक्त बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं।
- महागौरी माता मंदिर, कानपुर, उत्तर प्रदेश
- स्थानीय जनमानस के अनुसार, अष्टमी व्रत से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- शिवपुरी महागौरी मंदिर, जयपुर, राजस्थान
- यह मंदिर भी अष्टमी पूजा के लिए महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
- अष्टमी व्रत के लाभ और शुभ संकेत
- स्वास्थ्य में सुधार – रोग और व्याधि दूर होती है।
- पारिवारिक जीवन – प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- आर्थिक स्थिति – समृद्धि और धन लाभ के योग बनते हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा – घर और मन में शांति का वातावरण बनता है।
- सावधानियाँ और चेतावनी
- पूजा करते समय भक्ति और ध्यान में मन लगाना आवश्यक है।
- अधीरता या अर्धसत्य प्रयास से व्रत का फल कम हो सकता है।
- व्रत का उद्देश्य केवल धार्मिक भावना और संयम होना चाहिए।
समापन
नवरात्रि की अष्टमी केवल माँ महागौरी के प्रति श्रद्धा का दिन नहीं है, बल्कि यह जीवन में सौभाग्य, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा लाने का अवसर भी है। इस दिन की पूजा और व्रत से मन शांत रहता है, परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है, और समृद्धि के दरवाजे खुलते हैं।