दलित वारंटी की हिरासत में मौत से नाराज़ ग्रामीणों का हंगामा - राष्ट्र की परम्परा
August 18, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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दलित वारंटी की हिरासत में मौत से नाराज़ ग्रामीणों का हंगामा

  • नगुआ गांव छावनी में तब्दील
  • 14 साल पुराने वारंट में उठाए गए व्यक्ति की चौकी में मौत
  • परिजन बोले बीमार थे, पुलिस जबरन ले गई

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिले के महुली थाना क्षेत्र अंतर्गत शनिचरा बाबू पुलिस चौकी में सोमवार सुबह हिरासत के दौरान एक दलित वारंटी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक राम किशुन (निवासी ग्राम नगुआ) की मृत्यु के बाद ग्रामीणों और परिजनों ने चौकी पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर नाराजगी जताई। परिजन और ग्रामीण मृतक के दिल्ली से आ रहे चार बेटों के आने तक शव का पोस्टमार्टम नहीं होने देने पर अड़े हुए हैं।
ग्रामीणों के अनुसार सोमवार शाम शनिचरा बाबू पुलिस चौकी के सिपाही नगुआ गांव निवासी मतई पुत्र मोतीलाल और राम किशुन पुत्र बुझई के घर पहुंचे और न्यायालय द्वारा जारी पुराने वारंट का हवाला देते हुए दोनों को मंगलवार सुबह चौकी पर बुलाया।
वारंटी मतई के अनुसार मंगलवार सुबह करीब 8 बजे चौकी प्रभारी दो सिपाहियों के साथ उनके घर पहुंचे और उसके बाद राम किशुन के घर गए। राम किशुन गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थे और उस समय घर में खाना खा रहे थे। परिजनों ने दवा खिलाने का समय मांगा, पर आरोप है कि पुलिस ने जबरन उन्हें बाइक पर बैठाकर चौकी ले गई।
बताया जा रहा है कि चौकी पहुंचते ही राम किशुन की तबीयत बिगड़ गई। पुलिस उन्हें पास की एक निजी क्लिनिक ले गई, जहां चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि चिकित्सक के मृत घोषित करते ही पुलिस शव वहीं छोड़कर निकल गई।
सूचना मिलने पर ग्रामीणों ने शव को राम किशुन के घर पहुंचाया। मौके पर पहुंचे पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रियम शेखर पांडेय, थानाध्यक्ष रजनीश राय और बाद में अपर पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार सिंह ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन मृतक की पत्नी और पुत्री पोस्टमार्टम से पहले दिल्ली से आ रहे चारों बेटों के पहुंचने की जिद पर अड़ी रहीं। समाचार लिखे जाने तक शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका था।
ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2011 में गांव में दो पक्षों में मारपीट हुई थी, जिसमें बाद में आपसी सुलह हो गई थी। उसी मामले में पांच लोगों पर न्यायालय द्वारा वारंट जारी किया गया था। इनमें से तीन बाहर थे, जबकि दो (मतई और राम किशुन) गांव में ही थे। पुलिस इन्हें हिरासत में लेकर चौकी ले गई थी।
घटना की सूचना फैलते ही नगुआ गांव और आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में ग्रामीण जुटने लगे। पुलिस की कार्यशैली को लेकर आक्रोश व्याप्त है। स्थिति को देखते हुए महुली और धनघटा थानों की पुलिस को मौके पर तैनात किया गया है। पूरा नगुआ गांव फिलहाल पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है।
यह घटना एक बार फिर पुलिस द्वारा बीमार व्यक्तियों के साथ कथित अमानवीय रवैए और बिना चिकित्सा परीक्षण के गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है। प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश देने की बात कही है।