आदित्य वही कर्ता-वही धर्ता

योगा, प्राणायाम और व्यायाम से
ध्यान मनन चिंतन और स्मरण से,
तन की मन की सुस्ती मिट जाती है,
तन मन की सक्षमता बढ़ जाती है।

मन के भ्रम संदेह दूर हो जाते हैं,
तन के क्लेश कष्ट मिट जाते हैं,
आशा और आनन्द बढ़ जाते हैं,
शांति व सुकून एहसास कराते हैं।

जो मेरा है मुझको मिल जाता है,
जो मेरा नहीं है वह नहीं चाहता हूँ,
जीवन में सद्प्रवृत्ति बढ़ने लगती है,
ईश्वर पर आस्था विश्वास अटल है।

ईश्वर पर आस्था व विश्वास
जीवन की सबसे बड़ी सुरक्षा है,
आदित्य वही कर्ता है वही धर्ता है,
वही तो सबका भाग्य विधाता है।

अच्छे कर्मों का लेखाजोखा हर
समय पर बराबर करते रहना है,
आदित्य स्वयं नहीं कर लेंगे तो,
वह भी परमात्मा को तो करना है।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
rkpNavneet Mishra

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