
विचारों को पढ़ने मात्र से जीवन में,कोई परिवर्तन नहीं आ पाता है,विचारों को अमल में ले आने सेजीवन परिवर्तित हो सुधर जाता है।
गुरु शिक्षा ग्रहण किया जिसने,
निज जीवन सुधार लिया उसने,
प्रथम गुरू माता पिता होते हैं,
दूसरे गुरु शिक्षक ज्ञान देते हैं।
भवसागर से पार उतारे ईश्वर
सबके गुरूदेव भगवान् होते हैं,
एक गुरू धरती माता होती हैं,
जहाँ पलकर सभी बड़े होते हैं।
ढाई अक्षर प्रेम के हर प्राणी में
वास करने वाले भी गुरु होते हैं,
सत्य, धर्म, ईमान और परसेवा
सबके जीवन में सदा गुरु होते हैं।
आदित्य कवि विनय गुरु से है,
कि दीजिये ज्ञान सभी को ऐसा,
सबका जीवन महान बन जाये,
इहलोक व परलोक सुधर जाये।
सृष्टि के सभी गूरूओं को हाथ
जोड़ करता हूँ प्रणाम और नमन,
गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर सब
मित्रों को हार्दिक बधाई व नमन।
कर्नल आदि शंकर मिश्र,आदित्य
लखनऊ
More Stories
विवाहिता ने की दहेज उत्पीड़न व भ्रूण हत्या की शिकायत
पुरानी रंजिश में दो पक्षों में मारपीट, कई घायल
ना जोगीरा, ना चौताल गुम हो रही परम्पराएं, आवश्यकता है इनके संरक्षण की