March 22, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

अधिकारियों की अदूरदर्शिता के चलते मज़ाक बन कर रह गया पीपा पुल

सिकन्दरपुर /बलिया(राष्ट्र की परम्परा)

तहसील क्षेत्र के खरीद व दरौली घाटों के मध्य घाघरा नदी पर पीपा पुल का निर्माण और संचालन सम्बन्धित अधिकारियों की अदूरदर्शिता के चलते मज़ाक बन कर रह गया है यह भी कहा जा सकता है कि अधिकारियों की लूट खसोट नीति निर्धारित समय से उस के मानक के अनुसार निर्माण और बाधा रहित संचालन में बाधक बन रहा है।यही नहीं निर्धारित समय तक पुल का संचालन भी सम्भव नहीं हो पा रहा है।

यह तथ्य है कि इस पीपा पुल से विधायक मो.ज़ियाउद्दीन रिज़वी का दिली लगाव है क्योंकि उन्होंने ने ही प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से जनहित में स्वीकृत कराया था।स्वीकृति और निर्माण के बाद कुछ वर्षों तक तो सम्बन्धित अधिकारी मुस्तैद रहे जिससे इस का संचालन निर्बाध रूप से होता रहा।साथ ही यू पी व बिहार के नागरिकों को नदी पार कर एक दूसरे प्रान्त में आवागमन करने में काफी सहूलियत थी।किन्तु बाद में धीरे धीरे अधिकारियों ने निर्माण कार्य में लापरवाही जो बरतना शुरू किया,वह आज भी बदस्तूर जारी है।जिस का खमियाजा नागरिकों को भोगना पड़ रहा है। नागरिक समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर खरीद-दरौली घाट पीपा पुल के सामान जैसे लकड़ी के सिलपट,लोहे के प्लेट तथा अन्य सामान कहाँ चले गए क्योंकि संसाधनों की कमी दिखा कर ही प्रत्येक वर्ष दो से तीन महीना विलम्ब से औने पौने पीपों को जोड़ा जाता और बीच में ही संचालन रोक दिया जाता है। हालत यह है कि इस वर्ष भी संसाधनों की कमी दिखा कर बीते माह फरवरी के अन्तिम सप्ताह में काफी जद्दोजेहद के बाद पुल को निर्मित कराया गया है।जो सामान लगाए गए हैं वे इतने कमज़ोर हैं कि पूरे समय तक पुल को चला पाएंगे या नहीं ,यह संशय बना हुआ है।यही नहीं रास्तों पर आधा अधूरा प्लेट बिछाया गया है जिससे प्रायः रोजाना दो चार दोपहिया और चार पहिया वाहन रेत में फंस जाते हैं जिन्हें निकालने में चालकों को काफी पापड़ बेलने पड़ते है।यदि रास्तों पर मानक के अनुसार प्लेट बिछे होते तो चालकों को यह कठिनाई पेश नहीं आती।