
मुंबई (राष्ट्र की परम्परा)। सफाई कामगारों के लिए अलग से पॉलिसी बनाने की मांग अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद भाई परमार ने की है। महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय विभाग को लिखे एक पत्र में गोविंद भाई परमार ने बताया कि बड़ी संख्या में सफाई कामगार जाति प्रमाणपत्र से वंचित हैं। जाति प्रमाणपत्र न मिलने से सफाई कामगारों के बच्चों का मेडिकल, इंजीनियरिंग और उच्च शिक्षा में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। परमार ने बताया कि 1956 में सफाई कामगार विभाग मुंबई में अस्तित्व में आया। किंतु सफाई कामगारों द्वारा जब भी जाति प्रमाणपत्र की मांग की जाती है उनसे 1950 का मुंबई के अधिवास प्रमाणपत्र देने की मांग की जाती है। इस कारण सफाई कामगारों को जाति प्रमाणपत्र नहीं मिल पा रहा है। परमार ने मनपा आयुक्त भूषण गगरानी की ओर से सफाई कर्मचारियों के साथ संवाद स्थापित करने और उनकी समस्याएं सुनने पर आयुक्त के इस कदम का स्वागत किया । लेकिन परमार ने यह भी बताया कि आयुक्त ने सिर्फ कनिष्ठ आवेक्षक , मुकादम से संवाद स्थापित किया जबकि अनुभवी सफाई कामगार और सड़कों पर झाड़ू मारने वाले असली सफाई कामगार आयुक्त के इस संवाद में शामिल न हो सके जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। परमार ने लाड पागे समिति की सिफारिश को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है।
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