August 7, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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पुनौराधाम में बनेगा भव्य जानकी मंदिर: अमित शाह करेंगे शिलान्यास, 882 करोड़ की परियोजना मिथिला की पहचान को देगी नया आयाम

सीतामढ़ी (राष्ट्र की परम्परा) मिथिला की पुण्यभूमि पर आस्था का एक और भव्य केंद्र आकार ले रहा है। सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम में माता सीता को समर्पित भव्य जानकी मंदिर का निर्माण कार्य शुक्रवार से आरंभ होने जा रहा है। इसका शिलान्यास देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विधिवत रूप से किया जाएगा। यह आयोजन अयोध्या के राममंदिर की तर्ज पर श्रद्धा, भव्यता और परंपरा का संगम होगा।

67 एकड़ में फैलेगा मंदिर परिसर, 2028 तक होगा निर्माण पूरा

जानकी मंदिर परिसर का निर्माण 67 एकड़ भूमि में किया जा रहा है, जिसकी कुल अनुमानित लागत ₹882.87 करोड़ है। मंदिर की ऊंचाई 151 फीट होगी और इसके 2028 तक पूर्ण होने की संभावना है। इस निर्माण से न केवल मिथिला की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ किया जाएगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन और स्थानीय रोजगार को भी एक नई दिशा मिलेगी।

धार्मिक महत्व से परिपूर्ण आयोजन

इस ऐतिहासिक अवसर को विशेष बनाने के लिए कई धार्मिक प्रतीकों और पारंपरिक वस्तुओं को शामिल किया गया है।जयपुर से मंगवाया गया चांदी का कलश देश के 21 प्रमुख तीर्थ स्थलों की मिट्टी ,31 पवित्र नदियों का जल

इसके अलावा, तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर 50 हजार लड्डुओं का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए दक्षिण भारत के विशेष कारीगरों को सीतामढ़ी बुलाया गया है। लड्डू निर्माण से पूर्व गंगा समेत 11 नदियों के जल से ‘संकल्प स्नान’ की रस्म अदा की जाएगी।

डिजिटल माध्यम से होगा ऐतिहासिक और धार्मिक प्रस्तुतीकरण

मंदिर परिसर को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जाएगा। माता सीता के जीवन से जुड़े प्रसंगों, प्रमाणों और कथाओं को डिजिटल माध्यम से दर्शाया जाएगा, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु इस धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर को गहराई से समझ सकें।

आस्था, परंपरा और आधुनिकता का मिलेगा अद्वितीय संगम

पुनौराधाम को माता सीता का जन्मस्थान माना जाता है, और इस पवित्र भूमि पर बनने जा रहा यह मंदिर आने वाले समय में मिथिला, बिहार और भारत की आस्था का प्रमुख केंद्र बनेगा। यहाँ आस्था, परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय देखने को मिलेगा।यह परियोजना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बिहार को राष्ट्रीय धार्मिक मानचित्र पर एक सशक्त स्थान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।