July 14, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

असम्भव को सम्भव

भूकम्प के झटके आये, नेपाल हिला,
भारत, लंका, पाकिस्तान हिल गये,
प्रभू मसीह, अल्लाह व भगवान कहाँ,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, भी गये।

प्रकृति के आगे है बेवश हर इंसान,
हैं समान सब उसकी पैनी नजर में,
नहीं चलता बाइबल, वेद और कुरान,
उलझे पाखण्ड से, अब जाग इंसान।

लक्ष्य के लिए पथिक परिश्रम कर,
पर जबरदस्ती नहीं, हौसला रख कर,
मत हार मुसाफ़िर गिरकर मंजिल पर,
जीत भी मिलेगी मंज़िल पर चलकर।

हम भ्रमित रहते हैं कि ख़ुशियों में
ईश्वर का आभार करना भूल जाते हैं,
पर दुखों और मुसीबतों की घड़ियों
में उससे ही शिकायतें करते रहते हैं।

हमारी प्रार्थनायें एवं हमारे विश्वास
जीवन के जितने अदृश्य पहलू होते हैं,
ये उतने ही अधिक ताक़तवर होते हैं,
कि असम्भव को सम्भव बना देते हैं।

प्रार्थना और विश्वास से परिश्रम
करना स्वादिष्ट प्रतिफल देते हैं,
धैर्य, प्रवीणता, स्पष्ट ज्ञान के बल
पर जीवन के अनुभव जोड़ लेते हैं।

सारे सद्गुण श्रम की शक्ति पर चार
चाँद लगाने जैसे अति सुंदर होते हैं,
आदित्य व्यंजनों में सही मात्रा मिर्च,
मसाले व नमक स्वादिष्ट बनाते हैं।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’