
प्रत्येक पाँच में से एक व्यक्ति मानसिक समस्या से पीड़ित
मेंटल हाइजीन के लिए नकारात्मक सोंच से रहना होगा दूर: प्रो. पूनम टण्डन
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के संवाद भवन में मनोविज्ञान विभाग द्वारा आईसीएसएसआर नई दिल्ली से अनुदानित प्रोजेक्ट वि
कसित भारत-2047 के अंतर्गत विधि विभाग, समाजशास्त्र विभाग, एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान एवं चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब के संयुक्त सहयोग से “मेंटल हेल्थ, हाइजीन एंड न्यूट्रिशनल लिटरेसी” विषय पर “अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस) के उद्घाटन हुआ। जिसके मुख्य अतिथि डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ के निदेशक प्रो. सी. एम. सिंह रहे व कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने किया। एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अमित जैन, चितकारा यूनिवर्सिटी की प्रो. वाइस चांसलर प्रो. मधु चितकारा भी बतौर अतिथि ऑनलाइन जुड़ी रहीं। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ के रूप में फ्रांस से डॉ जूली गरलेंड, स्वीडन की डॉ लीना क्रिस्टीना, फ़लिस्तीन से डॉ वाएल अबु हसन एवं दुबई से डॉ सागी सेठू ने भी अपने विचार रखे। कुलपति प्रो. पूनम टंडन एवं अतिथियों द्वारा संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ के निदेशक प्रो. सी. एम. सिंह ने अपने उद्बोधन में मेंटल हेल्थ के प्रति समाज को जागरूक होने की सलाह देते हुए कहा कि बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य और समाज के मानसिक स्वास्थ्य बेहद महत्वपूर्ण है। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, उसके भीतर आत्मविश्वास आता कि वे जीवन में तनाव से सामना कर सकता है और अपने काम या कार्यों से अपने समुदाय के विकास में योगदान दे सकता है। मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थ्य) से जुड़ी जागरूकता को जनआंदोलन की तरह लोगों के बीच ले जाना होगा। यहाँ के लोग मेंटल हेल्थ के लेकर लापरवाही करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े हैं कि प्रत्येक पाँच में से एक व्यक्ति मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। जागरूकता, शिक्षा, नज़दीक मेंटल हेल्थ एंड वेलनेस क्लिनिक, काउंसलिंग सेंटर्स के मध्यम से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण हो सकता है। इसके लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है। फास्टफूड से बचना भी बहुत जरूरी है क्योंकि यह हाइपरटेंशन का कारण बनता है।
डॉ. सिंह में अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में में 50% से अधिक लोग रक्त में लेड टॉक्सिटी के बढ़े स्तर से प्रभावित हैं। यह समस्या तब होती है, जब जब शरीर में लेड जमा हो जाता है, ऐसा अक्सर महीनों या वर्षों की अवधि में होता है। बच्चों के लिए काफ़ी हानिकारक है, बार जब लेड रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है, तो यह सीधे बच्चों के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने हेल्थ और हाइजीन विषय से जुड़ी जागरूकता में विश्वविद्यालय के छात्रों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि यंग ब्रेन को अपने मेंटल हेल्थ के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। जीवन से महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है, जिसके लिए मानसिक और शारीरिक रूप में स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। मेंटल हाइजीन पर विचार करते हुए हमेशा नकारात्मक सोंच से दूर रहना होगा। तनाव में कोई कभी भी अच्छा परिणाम नहीं दे सकता। उन्होंने अपने उद्बोधन में विकसित भारत@2047 की संकल्पना के दृष्टिगत मिले मेजर प्रोजेक्ट की सराहना करते हुए अन्य सभी सहयोगी विश्वविद्यालयों के प्रति सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।
एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अमित जैन ने कहा कि योग एवं ध्यान के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा किया जा सकता है। चितकारा यूनिवर्सिटी की प्रो वाइस चांसलर प्रो. मधु चितकारा ने भी अपने उद्बोधन में हेल्थ एवं हाइजीन जैसे विषय पर चर्चा को महत्वपूर्ण मानते हुए इसपर हो रहे विमर्श के लिए शुभकामनाएँ दी।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन देते हुए मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं कॉन्फ्रेंस कोऑर्डिनेटर प्रो. धनंजय कुमार ने कहा कि हेल्थ हाइजीन एवं न्यूट्रीशनल फूड को लेकर युवाओं को बहुत जागरूक होने की जरूरत है। उनके मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए संतुलित न्यूट्रिशंस बहुत कार्यरत है।
कार्यक्रम में विषय परिवर्तन करते हुए संगोष्ठी की समन्वयक डॉ. विस्मिता पालीवाल ने कहा कि विकसित भारत मिशन में युवाओं की भूमिका को देखते हुए यह कॉन्फ्रेंस बेहद महत्वपूर्ण है। स्वस्थ व्यक्ति एवं स्वस्थ समाज के निर्माण में मेंटल हेल्थ, हाइजीन एंड न्यूट्रिशनल लिटरेसी एक महत्वपूर्ण प्रयास हैl
संगोष्ठी को विधि विभाग के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. अहमद नसीम एवं समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनुराग द्विवेदी ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन विधि विभाग के डॉ. आशीष शुक्ला एवं आभार ज्ञापन समाजशास्त्र विभाग के डॉ. मनीष पाण्डेय ने किया।
प्रोजेक्ट के सहयोगी हुए सम्मानित
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रोजेक्ट के सहयोगी प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर एमिटी स्कूल ऑफ अप्लाइड साइंसेज, एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान के प्रोफेसर जगदीश प्रसाद एवं चितकारा स्कूल आफ हेल्थ साइंसेज, चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नवीन कुमार को उनकी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया।
इस दौरान प्रो. चितरंजन मिश्र, प्रो अनुपम नाथ त्रिपाठी, प्रो अनुभूति दुबे, प्रो सुधीर श्रीवास्तव, प्रो नंदिता सिंह, प्रो आलोक गोयल, प्रो विमलेश मिश्र, प्रो प्रत्यूष दुबे, प्रो अजय शुक्ला, प्रो दिव्या रानी सिंह, प्रो शरद मिश्र, प्रो एस के सिंह, प्रो शिखा सिंह, प्रो गौर हरि बेहरा,प्रो अंजू, प्रो सुनीता मुर्मू , प्रो गोपाल प्रसाद, प्रो मनोज तिवारी, प्रो विजय शंकर वर्मा, कुशल नाथ मिश्र, डॉ अभिषेक शुक्ल, डॉ अखिल मिश्र, डॉ अमित कुमार उपाध्याय , डॉ कुलदीपक शुक्ल,डॉ सत्यपाल सिंह, डॉ रामवंत गुप्ता, डॉ स्वर्णिमा सिंह,डॉ आरती यादव एवं विधि संकाय, समाजशास्त्र विभाग एवं मनोविज्ञान विभाग के सभी शिक्षक, शोध छात्र कर्मचारी समेत विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र आदि लोग उपस्थित रहे।
तकनीकी सत्रों का हुआ आयोजन, पढ़े गए शोधपत्र
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ। प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर अहमद नसीम एवं द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. अनुराग द्विवेदी ने किया। हेल्थ हाइजीन एंड न्यूट्रीशनल अवेयरनेस से जुड़े विभिन्न विषयों के शोध पत्र का वाचन हुआ।
विदेशी विद्वानों ने की शिरकत, ऑनलाइन दिया उद्बोधन
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में जुड़े अंतरराष्ट्रीय विद्वानों ने भी अपने मानसिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर अपने विचार को रखा।। स्वीडन की मनोवैज्ञानिक डॉ लीना क्रिस्टीना ने बॉडी, माइंड एण्ड स्पिरिट की बात करते हुए बताया कि इसके माध्यम से स्वयं एवं दूसरों के प्रति व्यवहार का निर्धारण होता है, इससे हमारी भावना का निर्माण होता है और उसी भावना के आधार पर क्रिया (एक्शन) होती है, और वही एक्शन व्यक्तित्व को तय करता है कि हम किस रूप में कहां तक जाएंगे और लोग किस रूप में हमें जानेंगे। मनुष्य मस्तिक के प्रतिशत हिस्से का निर्माण फैट से होता है, हम जैसा फैट लेते हैं उसी के अनुरूप मस्तिष्क का विकास होता है।
फ्रांस से जुड़ी डॉ जूली गरलेंड ने कहा कि शारीरिक पोषण (बुद्धि, शरीर और आत्मा का) और जन्मजात बुद्धि के बीच संतुलन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। आधुनिक त्रासदियाँ जैसे तस्करी, आत्महत्या, क्रोध, ड्रग्स आदि दुनिया में भयंकर असंतुलन को दर्शाती हैं।
डॉ. सागी गीता सेथु ने कहा कि आधुनिक मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए पूर्ववर्ती कारकों को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। महिला केंद्रित मानसिक स्वास्थ्य अध्ययन में कई देश, एजेंसियां आदि शामिल हो रही हैं।
फ़लिस्तीन से डॉ वाएल अबु हसन ने बताया कि शिक्षा की भूमिका मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता की आधारशिला है। इसमें निर्माण-वार्ता -जागरूकता उन्मुख दृष्टिकोण शामिल हैं, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य कमज़ोरी का संकेत नहीं है।
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