काव्यगोष्ठी आयोजित
गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)l किसानों की मार्मिक दशा का चित्रण करते हुए युवा कवि डा.सुधीर श्रीवास्तव “नीरज” ने यह गीत भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर की 783वी काव्य गोष्ठी में पढ़ा,तो सभी कवियों ने मुक्तकंठ से प्रसंशा की।
मंच की यह कवि गोष्ठी पूर्व सहायक स्टैम्प आयुक्त, बलरामपुर अरविंद शर्मा के गोरखपुर स्थित आवास पर संपन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अरूण सदाबहार ने व संचालन किया डा.सत्य नारायण ‘पथिक’ ने।
कविगोष्ठी का विधिवत शुभारंभ कवयित्री वंदना सूर्यवंशी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ ।
तत्पश्चात युवा कवयित्री विंदु चौहान ने ईश्वर से प्रश्न किया –
जब धरा तुम्हीं से रोशन है,
हर शय में तेरा दर्शन है।
फिर हे! बनवारी जग में क्यों ?
होता नारी का शोषण है।
वरिष्ठ शायर सुम्बुल हाशमी ने तत्कालीन संस्कृति पर प्रश्न करते हुए शेर पढ़ा –
हमारे गांव में पीपल की छांव है सुम्बुल ,
तुम्हारे शहर में टावर दिखाई देते हैं।
वरिष्ठ कवि वीरेंद्र मिश्र विरही ने प्यार की परिभाषा देते हुए गीत पढ़ा –
नेह की नीर से सींचकर,पीर को ,
हमने पाया जो पौधा,वहीं प्यार है
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अरुण सदाबहार ने सभी को साधुवाद देते हुए शेर पढ़ा –
हम न बोलेंगे,हमारी बात बोलेंगी,
उम्र भर ठहरी हुई बरसात बोलेंगी।
अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है – वंदना सूर्यवंशी एवं सर्वश्री दानिका विश्वकर्मा , वेदप्रकाश, अरविंद ‘अकेला’, अवधेश शर्मा ‘नंद’, बद्री विश्वकर्मा ‘सांवरिया’,राम समुझ ‘सांवरा’, आचार्य जयराम शर्मा,डा.सत्य नारायण ‘पथिक’ आदि।
श्रोताओं में ई.कृष्ण गोपाल विश्वकर्मा, डाक्टर अमिताभ शर्मा एवं परिवार जन उपस्थित रहे। अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया अरविंद शर्मा ने।
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