
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। उगा हे सूरज देव भेल भिनसरवा, अरघ केरे बेरवा पूजन केरे बेरवा हो, बड़की पुकारे देव दुनु कर जोरवा, अरघ केरे बेरवा पूजन केरे बेरवा हो… गीत के साथ उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व छठ का समापन हो गया। इस अवसर पर पूरा जिला मिनी बिहार में तब्दील हो गया था। जिले भर में हर तरफ बस छठव्रती और छठ पूजा में शामिल श्रद्धालु दिख रहे थे। जिन इलाकों से घाट दूर थे, वहां के लोगों ने कृत्रिम घाटों व जलाशयों में जाकर पूजा-अर्चना की। लग रहा था कि मानों पूरा गांव- नगर छठ घाटों पर उमड़ पड़ा हो। सभी ने उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मईया की उपासना की और आशीष मांगा।
गुरुवार की शाम और शुक्रवार की सुबह गाजे-बाजे और डीजे के शोर के साथ सैकड़ों श्रद्धालु छठ घाटों पर पहुंचे और सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। जिले भर के घाटों पर पैर रखने तक की जगह नहीं थी।
जिन लोगों को छठ घाटों पर पहुंचने में दिक्कत थी उन लोगों ने कृत्रिम घाटों व जलाशयाें में लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया।
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