November 21, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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छठी मईया के गोद में समायी बिहार कोकिला शारदा सिन्हा

सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने नम आंखों से दी विदाई

मोतिहारी/बिहार(राष्ट्र की परम्परा)
शुक्रवार को उदयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न हो गया। एक तरफ छठ महापर्व में शारदा सिन्हा के गानों से दुनियां गूंज रही थी, तभी सोशल मीडिया पर एक अत्यंत ही हृदय विदारक खबर आई कि संगीत जगत में बिहार की स्वर कोकिला कहे जाने वाली शारदा सिन्हा अब इस दुनियां में नहीं रही। इधर निधन का खबर सुनते ही भावुक हो उठे अंतरराष्ट्रीय रेत कलाकार मधुरेंद्र कुमार ने शुक्रवार की पूर्व संध्या पर अपनी 48 घंटों के कठीन परिश्रम के बाद पटना के कंगन घाट पर लोक गायिका पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा की तस्वीर आकृति उकेर डाली और लिखा बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बताया कि आस्था का प्रतीक माना जाने वाला महापर्व छठ बिहार के साथ-साथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गीत आज भी घर-घर में गूंजते हैं। अगर छठ के समय उनके गाए गीत नहीं बजते हैं, तो पता ही नहीं चलता कि छठ का पर्व मनाया जा रहा है। अब छठ पुत्री शारदा सिन्हा मईया के गोद में समा गई है। उनकी निधन से भोजपुरी संगीत में अपूरणीय क्षति हुई है। ऐसा आवाज बिड़ले ही धरती पर जन्म लेती हैं। शारदा सिन्हा की आवाज छठ महापर्व के लिए सदैव अमर रहेंगी।
बता दें कि अपनी कलाकृति बनाकर नम आंखों से शारदा सिन्हा को विदाई देने वाले प्रख्यात सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र मूल रूप से बिहार के चंपारण के मूल निवासी है। ये देश दुनिया के सभी असामायिक घटनाओं व ज्वलंत मुद्दों पर अपनी विशेष कलाकृतियों से समाज को सकारात्मक संदेश देने में जुटे रहते हैं।
मौके पर उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों व हजारों छठव्रतियों ने भी मधुरेंद्र की कलाकृति की सराहना करते शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि दी।