Sunday, October 19, 2025
Homeउत्तर प्रदेशराही चलना धीरे धीरे

राही चलना धीरे धीरे

अंतिम यात्रा आने वाली,
राही चलना धीरे धीरे।
यात्रा करना छोड़ अगर दें,
पढ़ना-लिखना छोड़ अगर दें,
पैरों की ध्वनि ना सुन पायें,
दिल की सुनना छोड़ अगर दें,
हँसी दिल्लगी सदा भुलाकर,
कभी न जीवन चर्या बदलें,
अंतिम यात्रा आने वाली,
राही चलना धीरे धीरे।

दाँत, आँख धोखा दे जायें,
चलने को घुटने तरसायें,
जब खुश रहना ना बन पाये,
मदद किसी की ना ले पायें,
नीरस-मन बन जीवन जीना,
दिल की चाहत कभी न माने,
अंतिम यात्रा आने वाली,
राही चलना धीरे धीरे।

दुर्व्यसनों का दास स्वयं बन,
उसी राह पर चलते जायें,
नीरस होकर एक तान में,
सदा सदा ही बुझते जायें,
सतरंगी जीवन के बदले,
एक रंग में ही ढल जायें,
अंतिम यात्रा आने वाली,
राही चलना धीरे धीरे।

कोई जुनून महसूस न करना,
आँख चमकती यदि देखकर,
आपके लिये जिसका धड़के दिल,
उसके भावों की कद्र न करना,
ना किसी से मतलब रखना,
ना किसी से बातें करना,
अंतिम यात्रा आने वाली,
राही चलना धीरे धीरे।

जीवन से संतोष नही हो,
काम काज से भी ना ख़ुश हों,
प्रेम- प्यार से सदा दूर रह,
कभी न अपनी शैली बदलें,
ख़तरे लेना कभी न सोचें,
सपने सच होते ना देखें,
जीवन अति गम्भीर बनाकर,
आदित्य नहीं स्वयं को समझें,
अंतिम यात्रा आने वाली,
राही चलना धीरे धीरे।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments