
वह चराचर जगत के स्वामी हैं,
सारा संसार उन्हीं पर आश्रित है,
वह देवों के देव हैं, महानतम हैं,
शक्तिशालियों में शक्तिशाली हैं।
ऐसे जगत के स्वामी ईश्वर को
अंतःकरण में ग्रहण करना चाहिये,
सबके पालनहार सुख दुख के प्रभू
मन – मंदिर में बसे रहना चाहिये।
मूर्ति कार गरीब कलाकार के लिए
भगवान बिकते हैं ख़ुद बाज़ारों में,
गरीब खा सकें दो बार दिन भर में,
बच्चे पाल पोष सकें अपने जीवन में।
ज्यादा कुछ नहीं बदल पाता है,
धन दौलत यश अपयश के साथ,
बचपन की जिद बदलती है जीवन
भर दुनिया के समझौतों के साथ।
मानव जीवन प्रकृति के संग चले,
जितना हो, प्रकृति की सुरक्षा करें,
आदित्य जल,ऊर्जा,पर्यावरण की,
प्रकृति से दोहन बिलकुल नहीं करें।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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