Thursday, October 16, 2025
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मानवता के मूल में हैं नीति ग्रंथ: प्रो. मुरलीमनोहर पाठक

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शनिवार को संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग द्वारा “नीति ग्रन्थों की साम्प्रतिक उपादेयता” विषयक वैल्यू एडेड कोर्स का उद्घाटन सत्र संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. मुरलीमनोहर पाठक, कुलपति श्रीलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने नीति शब्द की उत्पत्ति
करते हुए मानवता के मूल में नीति ग्रन्थों के योगदान को आरेखित करते हुए कहा कि आज संपूर्ण विश्व में नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है जो अत्यंत चिंताजनक है। संस्कृत के नीति ग्रंथ इस समस्या के समाधान के मूल स्रोत है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. ललित कुमार गौड़ ने कतिपय नीति ग्रन्थों के नैतिक तत्वों को प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व नैतिक दृष्टि से भारत से संचेतना ग्रहण करता है।
विषय प्रवर्तन करते हुए विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कीर्ति पाण्डेय ने संस्कृत को समस्त भाषाओं की जननी तथा तथा नैतिक मूल्यों की संवाहिका कहा।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सूर्यकांत त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कुलदीपक शुक्ल ने किया।
इस अवसर पर विभागीय शिक्षक डॉ. लक्ष्मी मिश्रा, डॉ. देवेंद्र पाल डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह, डॉ. रंजनलता, डॉ. स्मिता द्विवेदी, डॉ. मृणालिनी, डॉ. ज्ञानधर भारती, डॉ. अर्चना शुक्ला सहित विभागीय छात्र उपस्थित रहे।

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