July 12, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

हवा का रुख

जीवन का तिमिर मिटाना है तो,
स्वयं का ही दीप जलाना होगा,
जलती मोमबत्ती कब बुझ जाये,
हवा के रुख़ को पहचानना होगा।

मोमबत्ती की क्षणिक रोशनी से,
जिंदगी रोशन कहाँ हुआ करती है,
अपने खून पसीने की चिकनाई से
ज़िंदगी ख़ुद सम्भालनी पड़ती है।

शिष्टाचार चाहे कम से कम हो,
हर व्यक्ति को अच्छा लगता है,
शिष्टता का कोई मोल नहीं होता,
पर हर किसी को खुश कर देता है।

चाय काफ़ी तो अपनी जगह पर है,
जब तलब हो दिल खोल पीजिए,
जमाना कितना बदल रहा है अब,
चाय काफ़ी ह्वाट्सऐप पे लीजिये।

अशिष्टता, उद्दण्डता की श्रेणी है,
आदित्य ख़ामियाज़ा ख़ुद को नहीं,
पूरे समाज को ही भुगतना पड़ता है,
अशिष्टता का असर सब पर पड़ता है।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’