
थोड़ा सा मुस्कराने में क्या जाता है,
तारीफ़ खुल कर करिये जमाने की,
कुछ नहीं जाता है क्षमा कर देने में,
मदद भरपूर करिये ज़रूरत मंद की।
गलती मानने से मान कम नहीं होता,
ग़ैर को देने से सम्मान कम नहीं होता,
इन औपचारिकताओं में प्रथम रहिये,
उदार प्रवृत्ति के साथ सौजन्य बनिये।
वक्त बदलता है बदलती हर चीज़ है,
हर दिन सत्कर्म करना आवश्यक है,
जब जीवन सुधरेगा, दिल बदलेंगे,
तभी हर किसी के दिन भी बहुरेंगे।
ज्ञान, विज्ञान, प्रज्ञान और भगवान,
इसी सोच पर बढ़ता व्यक्ति महान,
सोच, समझ, अध्यात्म एवं भक्ति,
उस इन्सान की यही होती है शक्ति।
पुण्य करना सदा सुफल देता है,
पाप किसी का साथ नहीं देता है,
धर्म की महिमा कर्म से ही होती है,
आदित्य कर्म गति नियत होती है।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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