November 21, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

राष्ट्रीय समानता दल व्यवस्था परिवर्तन व सामाजिक न्याय की लड़ाई ही लड़ता

देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय समानता दल उत्तर प्रदेश संजयदीप कुशवाहा ने प्रेसवार्ता करते हुआ पत्रकारों को बताया की राष्ट्रीय समानता दल व्यवस्था परिवर्तन, सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ता सामाजिक परिवर्तन का पक्षधर है,लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश के 25 सीटों पर राष्ट्रीय समानता दल चुनाव लड़ेगा।सलेमपुर लोकसभा में लगभग 18 लाख मतदाता है।जिसमें सिर्फ 3 लाख के लगभग यथास्थितिवादी विचारधारा के मतदाता है 15 लाख मतदाता सामाजिक न्याय, ब्यवस्था परिवर्तन वाली विचारधारा में विश्वास रखते है ।पूर्वी उत्तर प्रदेश में सभी लोकसभा सीटों पर यही स्थिति है,राष्ट्रीय समानता दल शेष सीटों पर सामाजिक न्याय और ब्यवस्था परिवर्तन में विश्वास रखने वाले पार्टियों के प्रत्याशियों का मदद करेगा।प्रत्याशियों के बुलावे पर जनसभा,रोड शो करेगा। देश और प्रदेश पर काबिज लोग यथास्थिति वादी विचारधारा को पोषित कर रहे है,सत्ता पर काबिज सरकार ने 10 वी पास लोगों का पासपोर्ट बनेगा शर्त लगाकर देश के करोड़ो युवाओं को दुनिया के देशों में जाकर मजदूरी करने से रोक दिया आंकड़ों के अनुसार मात्र 14 प्रतिशत लोग ही 10 वी पास है,मतलब 86 फीसदी लोगों के परिवार को विकास को रोक दिया गया ,यह सरासर बहुसंख्यक आबादी के साथ अन्याय है,विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में 13 प्वाइंट रोस्टर लगाकर आरक्षित वर्ग के लाखों युवाओं को प्रोफेसर बनाने से रोक दिया,सरकारी नौकरियों में जाति प्रमाण पत्र को आधार बनाकर आरक्षण के ओवर लैपिंग व्यवस्था को खत्म करके आरक्षित वर्ग के लाखों लाख युवाओं को नौकरी से वंचित कर दिया।शिक्षा मित्र,अनुदेशक,आशा कार्यकत्री, आंगनवाड़ी, रसोइया,पंचायत मित्र,जैसे अनेको पदों पर युवाओंऔर युवतियों से बेगारी कराया जा रहा,सेना में अग्निवीर की नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि आरक्षित वर्ग के युवाओं को स्थाई नौकरी से रोका जा रहा है,क्योकि सेना में सिपाही बनाने वाले 90 फीसदी लड़के आरक्षित वर्ग होते थे।देश के बहुसंख्यक आरक्षित वर्ग का विकास 10 वर्षो से रोका गया हक़,अधिकार,सम्मान को खत्म करने के लिए योजनाएं बन रही है,यदि 2024 में आयी भाजपा सरकार तो अब की बार संविधान साफ,आरक्षण साफ,बहुजन समाज का हक़,अधिकार,हिस्सा,सम्मान समाप्त ।