June 29, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

श्रीकृष्ण बाल लीला का वर्णन सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध।

बघौचघाट। (राष्ट्र की परंपरा)
मेंदीपट्टी धाम स्थित श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय शिव शक्ति महायज्ञ के चौथे दिन शुक्रवार को श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान का श्रवण के लिए भक्तो की भारी संख्या में भीड़ जुटी। प्रवचन से भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। कथा का शुभारंभ श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के अध्यक्ष व मुख्य यजमान सुरेंद्रलाल श्रीवास्तव ने श्रीमद्भागवत महापुराण का पूजन कर ख्याति प्राप्त कथा वाचक डॉ श्याम सुंदर पाराशर को माल्यार्पण कर किया। तत्पश्चात डॉ श्याम सुंदर पाराशर द्वारा श्रीमद्भागवत भगवान की वंदना से शुरू हुआ। कथा का रसपान कराते हुए भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं के साथ गायों को चराने, गांव की गोपिकाओं के घरों में घुसकर दूध दही एवं माखन खाने सहित अन्य बाल लीलाओं की कथा सुनाई। श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए गोपियां माखन चोरी की झूठी शिकायत लेकर मैया के पास जाती है। गोपियां जितने देर तक शिकायत करती हैं उतनी देर तक कृष्ण की सूरत देखने को मिल रही है। गोपियां कुछ सही कुछ झूठी शिकायत करती है। इस तरह पुरुषार्थ और कर्तव्य परायण व्यक्ति पर ही भगवान के कृपा होती है। मैया कान्हा को रस्सी से बाधती है,लेकिन रस्सी छोटी पड़ जाती है। दामोदर अपनी कृपा से स्वयं बध जाते है। उन्होंने कहा कि मथुरा के राजा कंस ने भगवान कृष्ण को अपना काल समझते हुए उनको बाल रूप में ही मरवाने के लिए राक्षसों को द्वारका में भेजा। परंतु उसकी सारी योजनाएं विफल रही। जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। कथा के बीच बीच में भजन और संगीत से श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे। इस दौरान महामंडलेश्वर सोमेश्वर यति जी महाराज,पूर्व प्रधानाचार्य मधुसूदन मणि त्रिपाठी,थानाथ्यक्ष मृत्युंजय राय,एचसी इंदल यादव,प्रभुनाथ तिवारी,राजेंद्र राय,विशाल श्रीवास्तव,उपेंद्र लाल श्रीवास्तव,आलोक राय,टुनटुन बाबा,विजय दास,अतुल श्रीवास्तव,संजय दूबे,पुजारी पं आचार्य राजू मिश्र,उमेश यादव,परमेश मिश्रा,राजन लाल श्रीवास्तव,विवेक राय,पत्रकार राजू प्रसाद श्रीवास्तव, राजीव प्रसाद,सुजीत यादव, मुकेश यादव,भीम यादव,रमेश शाह,हरिकेश लाल श्रीवास्तव,राजू राय,जय प्रकाश राय, प्रमोद दूबे, रत्नेश यादव,रामाशीष मौर्य,लक्ष्मी कांत शुक्ला, वशिष्ठ राय,गुलाब सिंह,अमरनाथ शुक्ल आदि लोगों ने कथा का रसपान किए।