बघौचघाट। (राष्ट्र की परम्परा) पथरदेवा विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत मेंदीपट्टी धाम स्थित श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय शिव शक्ति महायज्ञ के तीसरे दिन गुरुवार को श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान का श्रवण के लिए भक्तो की भारी संख्या में भीड़ जुटी। कथा का शुभारंभ श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के अध्यक्ष व मुख्य यजमान सुरेंद्रलाल श्रीवास्तव ने श्रीमद्भागवत महापुराण का पूजन कर ख्याति प्राप्त कथा वाचक डॉ श्याम सुंदर पाराशर को माल्यार्पण कर किया। तत्पश्चात डॉ श्याम सुंदर पाराशर द्वारा श्रीमद्भागवत भगवान की वंदना से शुरू हुआ। कथा का रसपान कराते हुए भगवान श्रीकृष्ण के जन्म बाल लीलाओं का रसपान कराते हुए बताए की चिंतामणि के चक्कर में वृंदावन को मत छोड़ना। लोगो में बृज के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। ब्रज की तीन महिमा के बारे में बताया। ब्रज की भूमि में गोविंद के चरण चिन्ह आज भी दिखाई देती है। कृष्ण की मुरली की धुन से पत्थर भी द्रवित हो जाते है। ब्रह्मरज का दूसरा नाम ही ब्रज है। ब्रज के तीन रानियों का वर्णन किए। कथा में आगे उन्होंने बताया कि एक बार कंस ने पूतना नाम की राक्षसी को बाल कृष्ण का वध करने के लिए भेजा। जैसे ही पूतना गोकुल पहुंची,उसने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया। जब पूतना कृष्ण के घर पहुंचती है, तब भगवान कृष्ण को पता चल जाता है कि वह एक राक्षसी है। पूतना कृष्ण को गोदी में उठाकर अपना विषैला दूध पिलाने लगती है।भगवान कृष्ण कुछ देर बाद दूध पीते-पीते ही राक्षसी के प्राण खींचने लगते हैं। दर्द के कारण राक्षसी पूतना कृष्ण को आसमान की ओर लेकर भागने लगती है और पास के जंगल में कान्हा सहित गिर जाती है। थोड़ी देर बाद ही राक्षसी के प्राण निकल जाते हैं। इस तरह भगवान कृष्ण राक्षसी पूतना का वध कर देते हैं। कथा के बीच बीच में लौकिक धर्म पर प्रकाश डाला गया।
इस दौरान सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी,महामंडलेश्वर सोमेश्वर यति जी महाराज,पूर्व प्रधानाचार्य मधुसूदन मणि त्रिपाठी,सुभाष तिवारी,थानाथ्यक्ष मृत्युंजय राय,एचसी इंदल यादव,प्रभुनाथ तिवारी,राजेंद्र राय,विशाल श्रीवास्तव, उपेंद्र लाल श्रीवास्तव, आलोक राय, टुनटुन बाबा,विजय दास,अतुल श्रीवास्तव, कृपा सिंह,पुजारी पं आचार्य राजू मिश्र,उमेश यादव,परमेश मिश्रा,राजन लाल श्रीवास्तव, विवेक राय,पत्रकार राजू प्रसाद श्रीवास्तव,सुजीत यादव, मुकेश यादव,भीम यादव,रमेश शाह,हरिकेश लाल श्रीवास्तव,राजू राय,जय प्रकाश राय,संजय दूबे,प्रमोद दूबे, रत्नेश यादव, रामाशीष मौर्य,लक्ष्मी कांत शुक्ला,वशिष्ठ राय,ज्वाला दूबे,अमरनाथ शुक्ल आदि लोगों ने कथा का रसपान किए।
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